स्वास्थ्य सेवा ठप: 20 साल बाद भी नियमितीकरण न होने से NHM कर्मचारियों की 12वें दिन भी हड़ताल जारी, सरकार की दमनकारी नीति से बढ़ा तनाव

जशपुर : एनएचएम कर्मचारियों का नियमितीकरण सहित 10 सूत्रीय मांगों को लेकर बाहरवें दिन भी पूरे उत्साह के साथ प्रदर्शन जारी रहा। संघ से शासन पक्ष से किसी प्रकार की पहल के संबंध में पूछे जाने पर बताया गया कि अभी तक शासन स्तर से किसी भी प्रकार से कोई सार्थक पहल नहीं की गई है। और नियमितीकरण सहित 10 सूत्रीय मांगों के लिए जो समिति बनाई गई के द्वारा व स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा हमारी पांच मांगों के संबंध में मीडिया के के समक्ष जो वक्तव्य दिया जा रहा है कि शासन ने हमारी पांच मांगों को पूरा कर दिया है। वह सरासर गलत है। शासन ने सिर्फ एक मांग कार्य मूल्यांकन व्यवस्था में पारदर्शिता को ही पूरा किया गया है, शेष चार मांग में शासन ने अपनी दोहरी मानसिकता दिखाते हुए हमारे मुल मांग को तोड-मरोड आदेश जारी किया है अतएव मांग अपूर्ण है। और ऐसी स्थिति में हमारा हड़ताल से वापस लौट कर कार्य पर जाना संभव नहीं है।
देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना …
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में लंबे समय से जारी ‘एड-हॉकिज्म’ यानी अस्थायी और संविदा नियुक्तियों की प्रथा पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि अस्थायी लेबल के तहत नियमित श्रम का निरंतर शोषण जनता का विश्वास कमजोर करता है और यह संविधान द्वारा गारंटी दिए गए समान संरक्षण के अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने इस पर नाराजगी जताते हुए साफ किया कि सार्वजनिक रोजगार की नींव निष्पक्षता, तर्कसंगतता और काम की गरिमा पर टिकी होनी चाहिए, न कि बजट संतुलन के नाम पर कर्मचारियों पर बोझ डालकर। किन्तु छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा बजट का हवाला देकर सिर्फ कर्मचारियों का शोषण और अधिकारों का हनन करना ही रह गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी रेखांकित किया कि
यद्यपि पद सृजन कार्यपालिका का विशेषाधिकार है, लेकिन पद न सृजित करने का निर्णय भी न्यायिक समीक्षा से बाहर नहीं है। अदालत ने प्रशासन को चेताया कि कर्मचारियों के मानवीय पहलुओं की अनदेखी करना संविधान की भावना के खिलाफ है। किंतु फिर भी शासन अपनी दमनात्मक नीति को ही सर्वोपरि मान रही है। जिसका उदहारण उसके द्वारा कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु जारी किया जाने वाला आदेश है। जिसमें कार्यवाही का डर दिखाकर काम पर लौटने का दबाव बनाया जाना है।
गायन व कविता के माध्यम से मांगों का उद्घोष…
आज एनएचएम संघ जशपुर द्वारा हड़ताल के बाहरवें दिन शासन प्रशासन तक अपनी मांग को पहुंचाने के लिए गायन और कविता का सहारा ले कर चिर निद्रा में सोये सत्ताधारी व नीति निर्धारक प्रशासनिक अधिकारियों को जगाने का प्रयास किया गया।
एनएचएम कर्मचारियों ने इस कविता से की अभिव्यक्ति :-
शासन हो या प्रशासन हो।
इसमे न कोई दुशासन हो।
प्यासे को पानी मिले।
और भूखे को राशन हो।
झूठे वायदे से कुछ नही।
सच्चाई वाला भाषण हो।
काम हो सब भलाई के।
सबके लिये सुखासन हो।





