सूरजपुर

सूरजपुर की तत्कालीन डीईओ भारती वर्मा का एक और कारनामा, सरकारी आदेशों को ताक पर रखकर मनमानी, प्रिंसिपल की मिलीभगत का भी आरोप..

अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ सरकार के आदेशों की खुली अवहेलना और नियमों की धज्जियाँ उड़ाने का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सूरजपुर जिले की तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) भारती वर्मा के कार्यकाल के दौरान मनमानी और कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। इस मामले में न केवल अटैचमेंट (संलग्नीकरण) से जुड़े सरकारी आदेशों को नजरअंदाज किया गया, बल्कि प्राचार्य पर दबाव डालकर वेतन निकालने के लिए मजबूर भी किया गया।

सरकारी आदेश को धता बताकर अटैचमेंट का ‘खेल’ जारी

छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 जून 2025 को एक स्पष्ट आदेश जारी किया था, जिसमें सभी विभागों में अटैचमेंट को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद, पूर्व डीईओ भारती वर्मा ने इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। इस आदेश के बाद भी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शिवप्रसादनगर जिला सूरजपुर में पदस्थ एक व्याख्याता और एक सहायक ग्रेड-03 को उनकी मूल संस्था में वापस नहीं भेजा गया। इस मामले में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अजाक जयनगर की प्राचार्य श्रीमती कलिस्ता की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। उन पर आरोप है कि शिवप्रसादनगर के प्राचार्य द्वारा पत्र व्यवहार करने के बावजूद उन्होंने उक्त व्याख्याता को कार्यमुक्त नहीं किया।

इस मामले का सबसे गंभीर पहलू यह है कि शिवप्रसादनगर के प्राचार्य द्वारा बार-बार मौखिक और लिखित रूप से इन कर्मचारियों को मूल पदस्थापना स्थल पर वापस भेजे जाने की मांग की जा रही थी। इसके बावजूद, उन कर्मचारियों को वापस नहीं भेजा गया। इतना ही नहीं, प्राचार्य पर दबाव बनाकर उन कर्मचारियों का वेतन भी निकलवाया गया, जबकि वे उनकी संस्था में कार्यरत नहीं थे। यह गंभीर वित्तीय अनियमितता है और सरकारी खजाने के दुरुपयोग का स्पष्ट संकेत देता है साथ हीं अधिकारियों के बीच व्याप्त मिलीभगत और नियमों की अनदेखी को भी उजागर करता है।

लगातार नियमों का उल्लंघन: भारती वर्मा की पुरानी कहानी

यह पहली बार नहीं है जब डीईओ भारती वर्मा पर ऐसे गंभीर आरोप लगे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान, रामानुजनगर विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी नियमों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर अटैचमेंट किए गए थे। उस समय स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि सरगुजा संभाग के संयुक्त संचालक (शिक्षा) को खुद इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और अटैचमेंट खत्म करने का आदेश देना पड़ा। इस तरह के लगातार मामले यह साबित करते हैं कि तत्कालीन डीईओ ने बार-बार सरकारी नियमों को नजरअंदाज किया और अपनी मनमर्जी से फैसले लिए, जिससे शिक्षा विभाग की छवि को भारी नुकसान पहुँचा है।

ट्रांसफर के आदेशों से भी खिलवाड़

अटैचमेंट के अलावा, तत्कालीन डीईओ भारती वर्मा पर एक और बेहद गंभीर आरोप लगा है। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने शिक्षा विभाग के वरिष्ठ कार्यालय लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा युक्तियुक्तकरण के दौरान जारी किए गए ट्रांसफर आदेशों को भी बदल दिया। बताया जा रहा है कि जिन कर्मचारियों का स्थानांतरण जिले से बाहर किया गया था, उनके आदेशों को रद्द करके उन्हें मनमाने ढंग से जिले के भीतर ही पदस्थ कर दिया गया। इस पूरे मामले का जल्द ही खुलासा किया जाएगा।

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