छत्तीसगढ़

विष्णु देव के सुशासन में छत्तीसगढ़ के शिक्षा व्यवस्था की सांय सांय ‘दुर्गति’ अब प्राथमिक शिक्षक पढ़ाएंगे हायर सेकेंडरी…!

मुख्यमंत्री विष्णु देव के कथित ‘सुशासन’ में छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। ताजा फरमान जिला शिक्षा अधिकारी, महासमुंद कार्यालय से जारी हुआ है, जिसमें शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों की समस्या का ‘अनोखा’ हल निकाला गया है। इस वायरल पत्र के अनुसार, अब प्राथमिक शाला के शिक्षक हायर सेकेंडरी के छात्रों को पढ़ाएंगे, और हायर सेकेंडरी के शिक्षक मिडिल स्कूल में ज्ञान का प्रकाश फैलाएंगे। लगता है सरकार ने शिक्षा में एक नई ‘क्रांति’ लाने का बीड़ा उठाया है, जहां ‘युक्तिकरण’ के नाम पर बदहाली का नया अध्याय लिखा जा रहा है।

मामला क्या है?

जिला शिक्षा अधिकारी, महासमुंद, विजय कुमार लहरे द्वारा जारी ज्ञापन क्र./2884/स्था. 02./ व्यवस्था/ 2025 दिनांक 20/06/2025 को सर्व विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को संबोधित यह पत्र शिक्षकों की कमी से उत्पन्न हुई ‘अध्यापन कार्यों की सुचारू व्यवस्था’ के संदर्भ में है। पत्र में साफ लिखा है कि विभिन्न जनप्रतिनिधियों, पालकों और विद्यार्थियों से ‘स्कूल खुलने के साथ ही रोज विभिन्न हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में विषयवार व्याख्याताओं की कमी की पूर्ति को लेकर लिखित एवं मौखिक आवेदन’ मिल रहे हैं। आलम यह है कि लोग ‘बच्चों के टी.सी. देने और तालाबंदी करने संबंधी बातें’ कर रहे हैं।

‘युक्तियुक्तकरण’ का कमाल

पत्र में आगे कहा गया है कि ‘युक्तियुक्तकरण पश्चात सभी शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय स्कूलों को शिक्षक मिल गए हैं।’ सुनकर अच्छा लगा, लेकिन इसके ठीक बाद जो लिखा गया है, वह किसी हास्य नाटक से कम नहीं है: ‘किंतु हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में सभी विषय के व्याख्याताओं की कमी है, जिनकी अभी तत्काल में पूर्ति किया जाना संभव नहीं है, इससे अध्यापन कार्य प्रभावित हो सकता है।’
और यहीं से शुरू होता है ‘दिमाग’ लगाने का खेल। समाधान यह निकाला गया है कि ‘यदि किसी हाई/ हायर सेकेंडरी स्कूल में व्याख्याताओं की कमी है तो प्राथमिक/ माध्यमिक के योग्य शिक्षकों से एक/दो कालखंड हायर सेकेंडरी एवं हाई स्कूल में सहयोग लेकर व्यवस्था बनाएं।’ वाह! क्या बात है! अब पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक, दसवीं और बारहवीं के छात्रों को गणित, विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ाएंगे।
इसी तर्ज पर, अगर माध्यमिक शाला में गणित, अंग्रेजी के शिक्षक की कमी है, तो ‘हाई स्कूलों से व्यवस्था बनाएं’। यानी जो शिक्षक हायर सेकेंडरी में जटिल विषयों की तैयारी करवा रहे थे, अब वे मिडिल स्कूल में जोड़-घटाव और सामान्य अंग्रेजी पढ़ाएंगे। इसके अलावा, हमारे ‘सी.एस.सी. भी हाई/ हायर सेकेंडरी स्कूल में एक/दो कालखंड ले सकते हैं’, और तो और ‘एस.एम.डी.सी के सहयोग से व्यवस्था बना सकते हैं’। लगता है अब एस.एम.डी.सी (स्कूल प्रबंधन एवं विकास समिति) के सदस्य भी ब्लैकबोर्ड पर चॉक घिसते नजर आएंगे!

जनता की प्रतिक्रिया

यह पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, और लोग ‘विष्णु देव के सुशासन में छत्तीसगढ़ के शिक्षा व्यवस्था के सांय सांय दुर्गति’ पर चटखारे ले रहे हैं। एक अभिभावक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “पहले तो बच्चों को स्कूल भेजो, फिर प्रार्थना करो कि उन्हें पढ़ाने वाला कोई योग्य शिक्षक मिल जाए। अब तो यह भी नहीं पता कि प्राथमिक का शिक्षक कहीं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में न पढ़ाने लग जाए!”
शिक्षाविदों का मानना है कि यह कदम शिक्षा के गिरते स्तर को और पाताल में ले जाएगा। एक शिक्षा विशेषज्ञ ने तंज कसते हुए कहा, “लगता है सरकार ने तय कर लिया है कि बच्चों को पढ़ाना नहीं, बस स्कूल भेजना है। गुणवत्ता तो अब सिर्फ कागजों एवं शासन प्रशासन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही मिलेगी।”
बहरहाल, जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी बी.ई.ओ. को ‘व्यवस्था बना कर मुझे अवगत कराने’ का निर्देश दिया है। अब देखना यह है कि यह ‘व्यवस्था’ बच्चों के भविष्य को किस ओर ले जाती है – उज्ज्वल भविष्य की ओर, या ‘सांय सांय दुर्गति’ की ओर!

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