सूरजपुर में ‘युक्तियुक्तिकरण’ का मजाक, प्रक्रिया के बीच में गुपचुप तबादलों से मचा बवाल…

सूरजपुर, छत्तीसगढ़: शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे ‘युक्तियुक्तिकरण अभियान’ को सूरजपुर जिले में मज़ाक बनाकर रख दिया गया है। एक बार फिर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सुर्खियों में हैं, और इस बार कारण है पदस्थापनाओं को लेकर गुपचुप तरीके से खेला जा रहा ‘संशोधन का खेल’। इस परदे के पीछे चल रही गतिविधियों ने जिले के शिक्षकों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है।
हाल ही में, काउंसलिंग प्रक्रिया के तहत सहायक शिक्षक पूनम सिंह को प्राथमिक शाला चिटकाहीपारा, रामानुजनगर, और श्रीमती विद्यावती सिंह को प्राथमिक शाला पंडोपारा, रामानुजनगर में पदस्थ किया गया था। दोनों शिक्षिकाओं ने नियमानुसार अपना कार्यभार भी ग्रहण कर लिया था, सब कुछ ठीकठाक चल रहा था। लेकिन फिर अचानक, बिना किसी आधिकारिक घोषणा या सार्वजनिक सूचना के, ‘आपसी सहमति’ की आड़ में इनकी पदस्थापनाएँ चुपचाप आपस में संशोधित कर दी गईं।
यह पूरा घटनाक्रम युक्तियुक्तिकरण के मूल सिद्धांतों पर ही सवाल खड़ा करता है। जहाँ एक ओर सरकार पारदर्शिता और न्यायसंगतता की बात करती है, वहीं दूसरी ओर सूरजपुर में पर्दे के पीछे से ऐसे ‘खामोश संशोधन’ हो रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि यह ‘आपसी सहमति’ आखिर किसकी सहमति है, और क्या यह युक्तियुक्तिकरण केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गया है?
इस ‘गुपचुप संशोधन’ ने न केवल शिक्षकों का मनोबल तोड़ा है, बल्कि शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब देखना यह है कि यह प्रशासनिक हिटलर शाही का प्रतीक बने युक्तियुक्त कारण’ या कहें,’विसंगति’ कब तक जारी रहती है और शिक्षा विभाग इस पर कब तक चुप्पी साधे रखता है। शायद सूरजपुर के ‘पारदर्शी’ शिक्षा विभाग को यह समझना होगा कि पारदर्शिता की परिभाषा में ‘गुपचुप संशोधन’ शामिल नहीं होता।



