छत्तीसगढ़ में ‘अतिशेष’ उपमुख्यमंत्रियों के खिलाफ 10,000 चिट्ठियां: राष्ट्रपति, PM और राज्यपाल से पद समाप्त करने की मांग
छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे”युक्तियुक्तकरण” अभियान ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस अभियान के तहत 10,000 से अधिक स्कूलों को बंद किया जा चुका है और हजारों शिक्षकों को “अतिशेष” (सरप्लस) बताकर असंवेदनशील तरीके से दूरस्थ स्कूलों में भेजे जाने की तैयारी की जा रही है छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के इस कदम से प्रदेश के शिक्षकों के साथ-साथ B.Ed और D.Ed प्रशिक्षितों में भी भारी आक्रोश है।
सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद
इस गंभीर स्थिति से नाराज होकर, बेरोजगारों के संगठन “कला एवं विज्ञान B.Ed D.Ed प्रशिक्षित कल्याण संघ” ने छत्तीसगढ़ जैसे छोटे प्रदेश में दो उपमुख्यमंत्रियों की “अनिवार्यता” पर सवाल उठाते हुए एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है। संघ ने प्रधानमंत्री और राज्यपाल को 10,000 से अधिक पत्र लिखकर दोनों उपमुख्यमंत्रियों के पदों को तत्काल समाप्त करने की मांग की है। उनका तर्क है कि इन अतिरिक्त पदों पर होने वाला भारी भरकम व्यय अनावश्यक है और इससे बचाये गए धन का उपयोग शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और बेरोजगार शिक्षकों को रोजगार देने में किया जा सकता है।
वित्तीय बोझ का हवाला
पत्र में उल्लेख किया गया है कि मुख्यमंत्री के होते हुए दो अतिरिक्त उपमुख्यमंत्रियों के वेतन-भत्ते, सुरक्षा व्यवस्था और अन्य खर्चों के कारण राज्य के खजाने पर भारी बोझ पड़ रहा है। इसी वित्तीय बोझ को कम करने के नाम पर शिक्षा विभाग स्कूलों का युक्तियुक्तकरण कर रहा है, जिससे हजारों स्कूल बंद हो रहे हैं और शिक्षक बेघर हो रहे हैं। संघ का मानना है कि यदि उपमुख्यमंत्रियों के पदों को समाप्त कर दिया जाए और विधायकों के वेतन-भत्तों में भी कटौती की जाए, तो राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बचाया जा सकता है और 57,000 शिक्षक भर्ती जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को पूरा किया जा सकता है, जो वर्तमान में वित्तीय समस्याओं का सामना कर रही हैं।
संगठन का विरोध और आगामी आंदोलन
छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को लेकर गहराते संकट और हजारों शिक्षकों को “अतिशेष” बताकर हटाए जाने के विरोध में, “बेरोजगारों के संग कला एवं विज्ञान D.Ed B.Ed प्रशिक्षित कल्याण संघ” ने राजधानी रायपुर के तूता स्थित धरना स्थल पर एक विशाल प्रदर्शन की तैयारी की है। संघ के पदाधिकारी कामेश्वर यादव, गीता सारथी और हेमंत कुमार ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, यह धरना जारी रहेगा।
दस हजार पत्र, एक ही मांग: दो उपमुख्यमंत्रियों का पद समाप्त हो
संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में दो उपमुख्यमंत्रियों का होना अनावश्यक वित्तीय बोझ है, जिसका सीधा असर शिक्षा बजट पर पड़ रहा है। इसी के विरोध में, संघ ने पहले ही प्रधानमंत्री और राज्यपाल को 10,000 से अधिक पत्र भेजकर इन अतिरिक्त पदों को तत्काल समाप्त करने की मांग की है। उनका तर्क है कि इन पदों पर होने वाले करोड़ों के खर्च से बचाए गए धन का उपयोग 57,000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने और बंद किए गए 10,000 से अधिक स्कूलों को फिर से खोलने में किया जा सकता है।
युक्तियुक्तकरण के नाम पर बेरोजगारों का का उत्पीड़न
संगठन के हेमंत कुमार ने बताया, “सरकार युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूलों को बंद कर रही है सीधे तौर पर बेरोजगारों के साथ अन्याय है और प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की साजिश है।”
“हमारी मांग है कि सरकार तत्काल इस असंवेदनशील युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को रोके। हम चाहते हैं कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और हर योग्य शिक्षक को रोजगार।”






