जशपुर

चरईडाँड़ से दमेरा सड़क में वन विभाग के अधिकारियों ने चींटी का शिकार किया :-बीट गार्ड निलंबित जनपद अध्यक्ष व पूर्व सरकारी वकील चन्द्रप्रभा भगत ने जताई आपत्ति: कहा आदिवासी बीट गार्ड पर करवाई करने वाले के विरुद्ध एट्रोसिटी एक्ट के तहत करवाई हो

हरीश पारीक हिंद शिखर न्यूज़ जशपुर -: चरईडाँड़ से दमेरा तक बनने वाली सड़क जहाँ निर्माण में कई प्रकार की अनियमितता मिली है ।इस सड़क निर्माण में वन विभाग की जमीन से अवैध रूप से मिट्टी उत्खनन सहित वनों को भारी क्षति पंहुचाई गई है विधायक यू डी मिंज ने जब इस पर आपत्ति उठाई तो कई अधिकारी यहाँ जाँच के नाम पर पहुँचे जिसमे करवाई के नाम पर एक बीट गार्ड को निलंबित किया गया है।
इस सम्बंध में दुलदुला जनपद अध्यक्ष चन्द्र प्रभा भगत ने कहा कि पिछले एक वर्ष से अधिक समय से इस मार्ग का कार्य चल रहा है क्या वन विभाग आँख मूंद कर सो रहा था ? क्या विभाग के अदने से कर्मचारी बीटगार्ड ने अपने उच्च अधिकारियों को वन क्षेत्र से अवैध मिट्टी मुरम के उत्खनन के बारे में नहीं बताया गया है ? इस मामले में जो करवाई वनविभाग को करनी थी उसपर उन्होंने अपनी कलम नही चलाई और एक छोटे कर्मचारी को निलंबित कर इतिश्री कर दिया। वन विभाग के उच्चअधिकारी सीसीएफ भी जब इस सड़क निर्माण के जाँच में आये तो उन्होंने माना कि इस सड़क निर्माण में गड़बड़ी है उसके बाद भी जशपुर वनमंडल के अधिकारी ठेकेदार पर कोई करवाई नही कर पाए न ही वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी पर कोई करवाई नहीं किया जाना डीएफओ और एसडीओ की मिलीभगत प्रदर्शित करता है। वन विभाग के आदिवासी बीटगार्ड के ऊपर करवाई करने वाले अधिकारी के विरुद्ध भी एस्ट्रोसिटी एक्ट के तहत करवाई हो चराईडांड दमेरा सड़क के अवैध उत्खनन करने वाले ठेकेदार के विरुद्ध क्या करवाई विभाग कर रहा है यह जनता को बताए नहीं तो इसकी उच्चस्तरीय जांच की माँग करेंगे श्रीमती चन्द्रप्रभा भगत ने कहा वन विभाग के आला अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर शुरू से ही उंगली उठती रही है वन बचाने से ज्यादा वनों को उजाड़ने डीएफओ एसडीओ अपनी कार्यकुशलता का परिचय दे रहे हैं , जब भी किसी मामले की जांच होती है तो निम्न कर्मचारी पर दोषारोपण कर खुद को पाक साफ रखना वन अधिकारियों की आदत में शुमार हो चुका है मगर इस बार ऐसा नही होगा इस बार उन सभी अधिकारियों के विरुद्ध नामजद एफआईआर करवाई जाएगी जिन्होंने अपनी गलती का ठीकरा एक अदद वन रक्षक के सर फोड़ा है !

यहाँ यह बताना जरूरी है कि चराईडांड दमेरा सड़क को पूर्व की चौड़ाई के अनुरूप बनना था मगर ठेकेदार ने उसे चौड़ा बनाने वन भूमि पर असंवैधानिक रूप से वनों का, वन भूमि का अति दोहन कर सड़क के पूर्व के मार्ग को बदल कर नए मार्ग का निर्माण किया जा रहा है जिससे वहां की प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो रहा है, वन मित्र अरुण शर्मा कहते हैं वन विभाग के अधिकारी बड़ी चोरियों में संलिप्त हैं कभी कार्यवाही के लिए दबाव बना दें तो वन रक्षकोँ को निलंबित कर देते हैं मगर किसी अधिकारी पर कभी कोई कार्यवाही होती मैनें नही देखा यहां सीधे सीधे एआरओ तथा आरओ,एसडीओ डीएफओ केई मिलीभगत उक्त ठेकेदार से हैं नहीं तो क्या मजाल ठेकेदार की क़ि वह वन का एक टुकड़ा भी तहस नहस कर सके,, इस विषय पर वन मित्र ने सचिव वन श्री मनोज पुंगीया छग शासन को भी अवगत करा चुके हैं मगर कार्यवाही सिफर है!!

निर्माण में बन रहे गैर जरूरी जगह पुलिया निर्माण के साथ अकारण ही बहुत ऊंचा बनाया जा रहा है तटबंध के अनाश्वक निर्माण जिसपर सम्बंधित विभाग कुछ भी कहने से परहेज कर रहा हैं वहीं ठेकेदार के गुर्गे सड़क से सम्बंधित कोई भी जानकारी देने खुद को असमर्थ बता रहे हैं!!
17 करोड़ की राशि मे 10 करोड़ बुक की जा चुकी है और 70 से 75 प्रतिशत कार्य बाकी है वो भी 6.2 km की सड़क में 4 km पर गुणवत्ताविहीन कार्य हुआ है ।

सड़क निर्माण के सम्बंध में जो जानकारी हमे मिली उसके अनुसार उक्त सड़क का प्राकलन वन विभाग के विशेष अनुमति उन्नयन , एक पेड़ भी नहीं काटना था , पहाड़ चटटान की कोई तोड़ फोड़ नही करना , ना ही कोई उत्तखनन की अनुमति थी
सड़क पूर्व की चौड़ाई के अनुरूप बनना था मगर ठेकेदार व लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों की निर्माण की राशि की बंदरबाट करने की योजना में वन के उच्च अधिकारियों की भी संलिप्तता दिख रही है ने उसे चौड़ा बनाने वन भूमि पर असंवैधानिक रूप से वनों का, वन भूमि का अति दोहन कर सड़क के पूर्व के मार्ग को बदल कर नए मार्ग का निर्माण किया जा रहा है जिससे वहां की प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो रहा है!! वन भूमि पर अतिक्रमण कर अवैध रूप से मिट्टी, पत्थर एवं जंगल को भारी नुकसान पहुंचाया है पूर्व वन विभाग से कोई अनापत्ति मांग की गई!!
जानकार विशेषज्ञ लोगो का कहना है प्राकलन से अलग हट कर ऐसा निर्माण उनहोने जीवन मे पहली बार देखा, वहीं जिले के आदिवासी समाज ने भी हुंकार भरी है बेवजह आदिवासी वन रक्षक को निलंबित करने एआरओ, आरओ, एसडीओ, डीएफओ पर आदिवासी समाज एस्ट्रोसिटी एक्ट के तहत एफआईआर करने तैयारी कर रहा है आने वाले समय मे आदिवासी समुदाय वनों को बचाने अपने स्तर पर टीमें गठित कर वनों की देखभाल करेगी!!

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