कैंसर के इलाज में बड़ी सफलता: रूस ने बनाई वैक्सीन, प्रीक्लिनिकल ट्रायल में सुरक्षित और प्रभावी, ह्यूमन ट्रायल अक्टूबर 2025 से

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ाई में एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. रूस की फेडरल मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी (FMBA) ने एक नई एमआरएनए (mRNA)-आधारित कैंसर वैक्सीन विकसित की है, जिसने अपने तीन साल के प्रीक्लिनिकल ट्रायल में शानदार सफलता हासिल की है. इस वैक्सीन को अब उपयोग के लिए तैयार माना जा रहा है, जिससे यह चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है.
वैक्सीन की कार्यप्रणाली और प्रभावशीलता
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार FMBA की प्रमुख वेरेनिका स्कोर्तसोवा ने इस उपलब्धि की घोषणा करते हुए बताया कि यह वैक्सीन हर मरीज के ट्यूमर के अनुसार कस्टमाइज की जा सकेगी. इसका मतलब है कि यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशेष रूप से तैयार होगी, जो इसे पारंपरिक उपचारों से अलग बनाता है. ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन ने ट्यूमर के आकार को 60% से 80% तक कम करने और उसकी वृद्धि को धीमा करने में बहुत अच्छे परिणाम दिखाए हैं.
यह वैक्सीन ट्यूमर को सिकोड़ने में इतनी प्रभावी साबित हुई है कि बार-बार इस्तेमाल के बाद भी इसका असर कम नहीं होता. स्कोर्तसोवा ने कहा, “यह वैक्सीन ट्यूमर को लक्षित कर उसके RNA के अनुसार काम करती है, जिससे इलाज की सटीकता कई गुना बढ़ जाती है.”
किन कैंसर पर होगी असरदार और आगे की योजना
यह वैक्सीन फिलहाल कुछ चुनिंदा प्रकार के कैंसर के लिए सबसे ज्यादा प्रभावी पाई गई है. इसमें कोलोरेक्टल कैंसर (Colon Cancer) प्रमुख है, जिस पर इसके ट्रायल के परिणाम बहुत ही सकारात्मक रहे हैं. इसके अलावा, यह ब्रेन कैंसर ग्लियोब्लास्टोमा और त्वचा के कैंसर मेलेनोमा के उपचार में भी उपयोगी साबित हो सकती है.
रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वैक्सीन को एक विशेष नियम के तहत मंजूरी दी है, क्योंकि यह हर मरीज के लिए व्यक्तिगत रूप से बनाई जाएगी. इस कारण, इसकी एक खुराक की कीमत करीब 300,000 रूबल (लगभग 2.5 लाख रुपये) हो सकती है. हालांकि, रूसी सरकार ने अपने नागरिकों के लिए इसे मुफ्त देने की योजना बनाई है, ताकि हर कोई इसका लाभ उठा सके.
जनता तक इस वैक्सीन की पहुंच के बारे में बात करते हुए, स्कोर्तसोवा ने बताया कि इसका पहला ह्यूमन ट्रायल सितंबर-अक्टूबर 2025 में शुरू होने की उम्मीद है. यह सफल होने के बाद, यह वैक्सीन आम लोगों के लिए उपलब्ध हो सकेगी. यह खोज कैंसर के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक बड़ी जीत मानी जा रही है और दुनिया भर के चिकित्सा विशेषज्ञों की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं.





