कोरबा

स्कूल खुले 24 घंटे भी नहीं बीता और बच्चों पर टूटा कोरोना का कहर.. पालक संघ ने दी चेतावनी

विनोद शुक्ला हिदं शिखर ब्यूरो कोरबा/ कोरोना संकट के बीच राज्य सरकार ने स्कूल खोलने की अनुमति दे दी इस बात से बेपरवाह कि अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है वह केवल शांत है। कोरबा जिले में 2 अगस्त को स्कूल खुलते ही बच्चों में कोरोना संक्रमण का विस्फोट हुआ है। जिले में मिले 24 संक्रमित मरीजों में से 10 स्कूली बच्चे शामिल है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इन बच्चों की उम्र 9 से 12 साल के बीच की है। कोरोना संक्रमित हुए 10 छात्रों में दो छात्र कक्षा सातवीं में पढ़ाई करने वाले है, बाकी आठ बच्चे प्राइमरी स्कूल के है। स्वास्थ्य टीम द्वारा पूछताछ में ये भी कहा जा रहा है कि ये बच्चे सोमवार को मोहल्ला क्लास में भी शामिल हुए थे।

इस खबर के बाद आज यहाँ पंचायत की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें स्कूल बंद करने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की टीम इन छात्रों के संपर्क में आए लोगो को भी ट्रेस आउट करने का काम कर रही है।

मानिकपुर कंटेनमेंट जोन घोषित

गौरतलब है कि तक़रीबन डेढ़ महीने बाद कोरबा जिले इतनी बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज़ एक साथ मिले है। इसके चलते कोरोबा के मरीज़ों के घर वाले मानिकपुर बस्ती को कंटेमेंट ज़ोन घोषित कर दिया गया है। वहीं पुलिस और जिला प्रशासन की टीम को भी क्षेत्र में तैनात किया गया है।

कोरोना के 86 केस एक्टिव

गौरतलब है कि कोरबा में अब तक 54533 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके है। जिसमें से 53872 मरीज़ अब तक स्वस्थ हो चुके है। यहाँ कुल सक्रिय मरीजों की संख्या अभी 86 है, और कोरोना की वज़ह से अब तक 575 लोगों की मौत हो चुकी है।

कोरोना संक्रमण को लेकर पालक संघ ने दी थी चेतावनी

राज्य सरकार द्वारा 2 अगस्त से स्कूल खोले जाने का आदेश जारी करते ही प्रदेश भर के पालकों ने इस संबंध में चिंता जाहिर की थी कि जब सरकारी दफ्तरों में भीड़ लगाने पर अभी भी प्रतिबंध है । किसी भी तरह के सामाजिक व सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए भी गाइडलाइन जारी है तो ऐसी स्थिति में स्कूल खोले जाने का आदेश समझ से परे है ।

कोरबा पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नूतन सिंह ठाकुर ने भी कुछ दिन पहले प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पालकों को चेताया था कि जिस स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पालकों पर ही थोप दिया जाए वहां किसी भी कीमत पर अपने बच्चों को स्कूल भेजे जाने की सहमति ना दें ।वहीं उन्होंने जिला प्रशासन से भी मांग की थी कि अगर पालक अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो स्कूलों की मॉनिटरिंग और बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सुनिश्चित करें ।

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