पीएम मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन: जीएसटी के बाद ‘स्वदेशी’ पर जोर, बोले- ‘गर्व से कहो, मैं स्वदेशी खरीदता हूं’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देशवासियों को नवरात्र और हाल ही में लागू हुए जीएसटी सुधारों के लिए बधाई दी। उन्होंने इन सुधारों को ‘बचत उत्सव’ बताया और कहा कि ये बदलाव देश के हर परिवार के लिए बचत बढ़ाएंगे और खरीदारी को आसान बनाएंगे।
जीएसटी: ‘वन नेशन, वन टैक्स’ का सपना
मोदी ने कहा कि 2014 में सरकार संभालने के बाद, जीएसटी को उनकी प्राथमिकताओं में रखा गया था। उन्होंने बताया कि कैसे भारत में पहले दर्जनों तरह के टैक्स थे, जिनसे व्यापारियों और नागरिकों को बहुत दिक्कत होती थी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के सहयोग से ‘वन नेशन, वन टैक्स’ का सपना साकार हुआ।
नए ‘नेक्स्ट जेन जीएसटी रिफॉर्म्स’ के तहत, अब सिर्फ 5% और 18% के टैक्स स्लैब होंगे। इससे रोजमर्रा की चीजें जैसे खाने-पीने का सामान, दवाइयां और बीमा सस्ती हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि जिन सामानों पर पहले 12% टैक्स लगता था, उनमें से 99% चीजें अब 5% के दायरे में आ गई हैं।
गरीबों और मध्य वर्ग को फायदा
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 11 सालों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ‘नियो मिडिल क्लास’ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरों में कमी से मध्यम वर्ग को दोहरा फायदा होगा, क्योंकि 12 लाख तक की आय पहले से ही टैक्स-मुक्त हो चुकी है। अब घर बनाने, कार-स्कूटर खरीदने और होटल में ठहरने पर भी कम खर्च आएगा।
‘आत्मनिर्भर भारत’ और स्वदेशी उत्पादों पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के मंत्र को दोहराया। उन्होंने कहा कि अब हमें उन चीजों को देश में ही बनाना चाहिए, जिनकी हमें जरूरत है। उन्होंने देशवासियों से स्वदेशी अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि जीएसटी में कमी से सूक्ष्म, लघु और कुटीर उद्योगों (MSME) को बहुत फायदा होगा। इससे उनकी बिक्री बढ़ेगी और टैक्स भी कम देना पड़ेगा। उन्होंने सभी भारतीयों से गर्व के साथ ‘स्वदेशी’ अपनाने और बेचने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब केंद्र और राज्य मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे, तभी विकसित भारत का सपना पूरा होगा।
अपने संबोधन के अंत में, उन्होंने ‘बचत उत्सव’ की शुभकामनाएं देते हुए अपनी बात समाप्त की।





