अम्बिकापुर

अम्बिकापुर: मानवता शर्मसार! बच्चों के शवों पर मांगी रिश्वत, कलेक्टर ने BMO को निलंबित कर एक चिकित्सा अधिकारी को किया कार्यमुक्त, पीड़ित परिजनों को मिली 8 लाख की सहायता

अम्बिकापुर: छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर जिले में मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक घटना सामने आई है, जहाँ दो मासूम बच्चों की मौत के बाद उनके पोस्टमार्टम के लिए रिश्वत की मांग की गई। इस हृदय विदारक मामले में लापरवाही और संवेदनहीनता की शिकायत मिलते ही कलेक्टर श्री विलास भोसकर ने त्वरित और सख्त कार्रवाई की है। जांच में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) रघुनाथपुर के डॉक्टरों की घोर लापरवाही उजागर होने के बाद, दो वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित और बर्खास्त कर दिया गया है।

दर्दनाक हादसा और रिश्वत की क्रूर मांग

यह मामला अम्बिकापुर से सटे ग्राम सिलसिला ढोढ़ा झरिया का है। यहाँ मछली पालन के लिए बनाए गए एक गहरे और असुरक्षित गड्ढे में डूबने से पांच वर्षीय चचेरे भाई सूरज गिरी और जुगनू गिरी की दुखद मृत्यु हो गई। इस त्रासदी से पूरा गाँव सदमे में था। जब परिजन बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, तो उन्हें वहाँ एक और बड़ा आघात लगा। परिजनों ने आरोप लगाया कि पीएचसी में तैनात चिकित्सक ने पोस्टमार्टम करने के लिए प्रति शव 10-10 हजार रुपये की अमानवीय मांग की। आर्थिक तंगी से जूझ रहे शोकाकुल परिवार के पास पैसे नहीं थे, जिसके कारण शवों का पोस्टमार्टम घंटों तक नहीं किया गया। यह खबर गाँव में फैलते ही सोमवार को ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों के दबाव और अधिकारियों को की गई शिकायत के बाद ही जाकर शवों का पोस्टमार्टम हो सका।
कलेक्टर का त्वरित एक्शन: लापरवाहों पर सख्त गाज

इस गंभीर मामले की जानकारी मिलते ही कलेक्टर श्री विलास भोसकर ने इसे अत्यंत गंभीरता से लिया। उन्होंने तत्काल एक उच्चस्तरीय जांच टीम गठित की। जांच के बाद जो तथ्य सामने आए, वे चौंकाने वाले थे।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धौरपुर के खंड चिकित्सा अधिकारी (BMO) डॉ. राघवेंद्र चौबे को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर नियंत्रण न रख पाने और कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया। उनका यह आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 का स्पष्ट उल्लंघन था। कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय, अम्बिकापुर निर्धारित किया गया है।
इसके साथ ही, रघुनाथपुर PHC में पदस्थ अनुबंधित चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमन जायसवाल पर भी लापरवाही का आरोप सिद्ध हुआ। जांच में स्पष्ट हुआ कि उन्होंने भी अपने दायित्वों का समुचित रूप से निर्वहन नहीं किया और उनका आचरण भी सेवा नियमों के विरुद्ध था। कलेक्टर ने कठोर कदम उठाते हुए उन्हें उनके दायित्वों से तत्काल कार्यमुक्त कर दिया और उन्हें तत्काल संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं रायपुर के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का निर्देश दिया।

संवेदनशीलता का परिचय: कलेक्टर ने खुद संभाला मोर्चा

इस संवेदनशील मामले में कलेक्टर श्री विलास भोसकर ने केवल प्रशासनिक कार्रवाई तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने स्वयं रघुनाथपुर पीएचसी सेंटर का औचक निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इसके बाद, वे सीधे पीड़ित बच्चों के परिजनों के घर पहुँचे। उन्होंने शोकाकुल परिवार से मुलाकात की, उन्हें ढांढस बंधाया और उनकी पीड़ा साझा की। कलेक्टर ने परिजनों से सीधे चर्चा कर घटना की वास्तविक स्थिति की जानकारी ली।
तत्परता दिखाते हुए, कलेक्टर ने मानवीयता का परिचय देते हुए आपदा-प्रबंधन आरबीसी 6/4 के तहत दोनों पीड़ित परिवारों को 4-4 लाख रुपये (कुल 8 लाख रुपये) की आर्थिक सहायता राशि तत्काल प्रदान की। इस दौरान, कलेक्टर ने स्पष्ट और सख्त शब्दों में कहा कि सार्वजनिक सेवाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही, खासकर संवेदनशील मामलों में, किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, लेकिन कलेक्टर की त्वरित और कठोर कार्रवाई ने प्रशासन की गंभीरता का संदेश भी दिया है।

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