जशपुर

जशपुर पुलिस का बड़ा खुलासा: 150 करोड़ की ठगी करने वाले ‘बंटी-बबली’ दिल्ली से गिरफ्तार, मंत्रालय के अधिकारी बनकर दिया 1000 करोड़ का लालच, सरगुजा रेंज के आईजी दीपक झा ने किया पुलिस टीम के लिए नगद ईनाम की घोषणा..

जशपुर: जशपुर पुलिस ने आज एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए 150 करोड़ रुपये की ठगी के एक अंतर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस मामले में शामिल दो मुख्य आरोपियों, अनिता उपाध्याय (35 वर्ष) और रत्नाकर उपाध्याय (40 वर्ष), दोनों निवासी उत्तमनगर, दिल्ली को गिरफ्तार कर लिया गया है। ये शातिर ठग ‘बंटी और बबली’ की तर्ज पर देश के विभिन्न राज्यों में कई व्यावसायिक संस्थानों को करोड़ों रुपये का चूना लगा चुके थे।
मामले की शुरुआत 20 अप्रैल 2025 को पत्थलगांव निवासी अमित कुमार अग्रवाल द्वारा दर्ज कराई गई एक रिपोर्ट से हुई। अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन, नई दिल्ली की डायरेक्टर अनिता उपाध्याय और उनके साथियों – सौरभ सिंह, रत्नाकर उपाध्याय व प्रांशु अग्रवाल – ने मिलकर उनसे राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन के नाम पर स्वेटर सप्लाई करने के एवज में 5 करोड़ 70 लाख रुपये की ठगी की है। इस रिपोर्ट पर पत्थलगांव थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(2)(5), 318(4), 336(1)(3), 338, 340(2), 341(1), 346 व 61(2) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर जांच शुरू की गई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जशपुर श्री शशि मोहन सिंह ने एस डी ओ पी पत्थलगांव श्री धुर्वेश कुमार जायसवाल के नेतृत्व में एक विशेष पुलिस टीम गठित कर आरोपियों की धरपकड़ के लिए दिल्ली रवाना किया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जशपुर लगातार इस मामले की निगरानी कर रहे थे।
पुलिस की चालाकी भरी रणनीति: आरोपियों तक पहुंचना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि ये शातिर ठग आपस में वाईफाई के माध्यम से व्हाट्सएप कॉलिंग के जरिए ही संपर्क करते थे और ज्यादातर समय अपने मोबाइल फोन बंद रखते थे, जिससे उन्हें ट्रेस करना मुश्किल हो रहा था। इसी दौरान, पुलिस को राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन की ट्रस्टी अनिता उपाध्याय का एक मोबाइल नंबर कुछ देर के लिए चालू मिला, जिससे वह अपने ग्राहकों से बात कर रही थी।
पुलिस ने तुरंत इस मौके का फायदा उठाया और ग्राहक बनकर अनिता उपाध्याय से संपर्क किया। पुलिस के एक अधिकारी ने खुद को मंत्रालय का अधिकारी बताते हुए उसे 1000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिलवाने का लालच दिया और मीटिंग के लिए दिल्ली के होटल ताज चाणक्यपुरी में बुलाया। शुरू में अनिता उपाध्याय मीटिंग के लिए आनाकानी कर रही थी और दो दिनों तक पुलिस को गुमराह करती रही। लेकिन पुलिस ने लगातार उससे संपर्क कर विश्वास में लिया, और आखिरकार वह होटल ताज में मीटिंग के लिए राजी हो गई।
होटल ताज में पुलिस के एक अधिकारी ने सादी वर्दी में और एक स्थानीय मॉडल को हायर कर उसे नया कोट-पैंट पहनाकर अपना असिस्टेंट बताकर अनिता उपाध्याय से मुलाकात की, ताकि उसे कोई शक न हो। पुलिस ने पेशेवर तरीके से अनिता उपाध्याय से बातचीत कर उसे विश्वास दिलाया कि वे मंत्रालय के अधिकारी हैं और 1000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिलवा सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें उनके बॉस रत्नाकर उपाध्याय से मिलवाना होगा। अनिता उपाध्याय झांसे में आ गई और उसने मुख्य अभियुक्त रत्नाकर उपाध्याय को उसके एक गोपनीय मोबाइल नंबर पर कॉल कर मीटिंग के बारे में बताया।
इसी दौरान, पुलिस की तकनीकी टीम, जो अनिता उपाध्याय के मोबाइल नंबर पर लगातार नजर रख रही थी, ने दूसरे अभियुक्त रत्नाकर उपाध्याय को ट्रेस कर लिया और दिल्ली स्थित जशपुर पुलिस की टीम उसकी गिरफ्तारी के लिए रवाना हुई। रत्नाकर उपाध्याय इतना शातिर था कि उसने टैक्सी बुक कर अपना मोबाइल फोन ऑन रखा और लगातार अपना लोकेशन बदलता रहा। पुलिस टीम लोकेशन ट्रेस कर लगातार उसका पीछा करती रही और अंततः सागरपुर (दिल्ली) में एक मेडिकल स्टोर के पास उसे पकड़ने में सफल रही।
गिरफ्तारी के दौरान हंगामा और पुलिस पर हमला: जब पुलिस ने रत्नाकर उपाध्याय को अपना पहचान पत्र दिखाया, तो उसने पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए “मेरा अपहरण किया जा रहा है” चिल्लाकर आसपास के लोगों को इकट्ठा करने की कोशिश की। इस पर जशपुर पुलिस की टीम ने तुरंत नजदीकी दिल्ली पुलिस थाने को सूचित किया। दिल्ली पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने तक एस डी ओ पी पत्थलगांव श्री धुर्वेश कुमार जायसवाल ने अभियुक्त रत्नाकर उपाध्याय को अपनी पकड़ में रखा। पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए मुख्य अभियुक्त रत्नाकर उपाध्याय और उसकी पत्नी लगातार एस डी ओ पी पत्थलगांव पर हाथ-मुक्कों से हमला कर रहे थे। अभियुक्त अनिता उपाध्याय को भी होटल ताज से हिरासत में ले लिया गया और दिल्ली से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर वापस लाया गया है।
ठगी का modus operandi: प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मुख्य अभियुक्त रत्नाकर उपाध्याय ने वर्ष 2023 में ही संस्था के डायरेक्टर व को-फाउंडर पद से इस्तीफा दे दिया था और अपनी जगह अभियुक्त अनिता उपाध्याय को संस्था का डायरेक्टर नियुक्त किया था। हालांकि, आंतरिक रूप से संस्था का संचालन रत्नाकर उपाध्याय ही करता था। जब ठगी के संबंध में ग्राहक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा रत्नाकर उपाध्याय से संपर्क किया जाता था, तो वह बताता था कि उसने संस्था के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया है और डायरेक्टर अनिता उपाध्याय से संपर्क करने को कहता था। वहीं, अनिता उपाध्याय ग्राहकों से कहती थी कि यह मामला पूर्व डायरेक्टर रत्नाकर उपाध्याय से संबंधित है और वह इसमें कुछ नहीं कर सकती। इस प्रकार दोनों मिलकर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को गुमराह कर ठगी करते थे। मामले में संलिप्त दो अन्य अभियुक्त फरार हैं, जिनकी पुलिस द्वारा तलाश जारी है और उन्हें भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन: ठगी का अड्डा: विवेचना के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि अभियुक्तों ने वर्ष 2021 में लखनऊ से राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन को झुग्गी-झोपड़ी एवं ग्रामीण स्तर पर गरीब बच्चों को पढ़ाने-लिखाने एवं स्कूल बैग, ड्रेस, स्वेटर जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रजिस्टर कराया था। इसके डायरेक्टर अनिता उपाध्याय, रत्नाकर उपाध्याय व को-फाउंडर सौरभ सिंह बने थे, जिनका छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत कुल 15 राज्यों में कार्यक्षेत्र था।
ये ठग लोकल एजेंटों के माध्यम से राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन में माल सप्लाई में अच्छे लाभ का लालच देकर वेंडरों को झांसे में लेते थे और उनसे 25 लाख रुपये सिक्योरिटी मनी डीडी के रूप में, 50 हजार रुपये प्रोसेसिंग चार्ज और काम दिलाने के नाम पर 10-10 लाख रुपये नकद अलग से लेते थे। इसी क्रम में, उन्होंने लोकल एजेंट प्रांशु अग्रवाल के माध्यम से पत्थलगांव निवासी प्रार्थी अमित अग्रवाल से सीएसआर फंड से प्राप्त राशि से माल सप्लाई में अच्छा फायदा का प्रलोभन देकर 25 लाख रुपये सिक्योरिटी मनी, 50 हजार रुपये प्रोसेसिंग चार्ज और काम दिलाने के नाम पर 15 लाख रुपये नकद लिए थे। इसके बाद अमित अग्रवाल से 5 करोड़ 70 लाख रुपये और टी बर्ड इंटरप्राइजेज बिलासपुर तथा पूर्णिमा ट्रेडिंग रायगढ़ से क्रमशः 5 करोड़ 70 लाख रुपये इस प्रकार कुल 17 करोड़ 10 लाख रुपये का माल सप्लाई कराकर छलपूर्वक चेक प्रदान किए गए।
अभियुक्तों द्वारा वेंडरों को झांसे में लेने के लिए जो बुकलेट दिया जाता था, उसमें उनके द्वारा तीन वर्ष में 600 करोड़ रुपये से अधिक का टर्नओवर बताया जाता था। जबकि पुलिस की जांच में पता चला है कि संस्था को सीएसआर मद से गरीब बच्चों को शिक्षा दिलाने हेतु आवश्यक सामग्री प्रदान करने के नाम पर दो वर्षों में कुल 140 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए थे, जबकि इस वर्ष डिमांड 130 करोड़ रुपये का था।
पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि अभियुक्तों द्वारा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली व छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं से 150 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की गई है, जिसमें अभियुक्तों के विरुद्ध विभिन्न राज्यों में 12 से अधिक प्रकरण भी दर्ज हैं।
विवेचना के दौरान पुलिस को पता चला है कि मुख्य अभियुक्त रत्नाकर उपाध्याय ने अवैध आर्थिक गतिविधियों से कमाए रुपयों से लखनऊ में 24 फ्लैट और दिल्ली में 2 फ्लैट खरीदे हैं, जिनकी कीमत लगभग 40 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, उसके पास ढाई करोड़ रुपये की रेंज रोवर गाड़ी भी है। पुलिस द्वारा मामले के सभी अभियुक्तों की संपत्तियों के संबंध में भी जानकारी इकट्ठा की जा रही है, जिसके संबंध में अग्रिम वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
इस महत्वपूर्ण मामले की विवेचना एवं आरोपियों की गिरफ्तारी में एस डी ओ पी पत्थलगांव श्री धुर्वेश कुमार जायसवाल, थाना प्रभारी पत्थलगांव निरीक्षक श्री विनीत कुमार पांडे, निरीक्षक अमित कुमार तिवारी, सहायक उप निरीक्षक श्री लखेश साहू, खिरोवती बेहरा, प्रधान आरक्षक अनंत मिराज, आरक्षक आशीषन टोप्पो, मारियानुस एक्का, महिला आरक्षक रिम्पा पैंकरा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद, रेंज आई जी श्री दीपक झा ने पुलिस टीम के लिए नगद इनाम की घोषणा की है।

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