पत्थलगांव के नागरिक धूल से मरे या कोरोना से मरे दोनों में हिसाब बराबर की तर्ज पर सड़क..आखिर पत्थलगांव के नागरिक जिए तो जिए कैसे, प्रशासन के एवं जनप्रतिनिधियों के रवैयै से मरने को मजबूर नागरिक जाएं तो जाएं कहां??
मुकेश अग्रवाल हिंद शिखर न्यूज़ पत्थलगांव/
पूरे जशपुर जिले की जीवन रेखा कहलाने वाली सड़क आज अपनी स्थिति को लेकर आंसू बहा रही है जहां नागरिक सड़क के बड़े-बड़े गड्ढों से जान गवाने को मजबूर हैं वही सड़क पर मरहम पट्टी लगाते प्रशासन के नुमाइंदों के द्वारा भरी गई मिट्टी के उड़ने वाले धूल से मरने को मजबूर हो चुके हैं। प्रशासन में बैठे उच्चाधिकारी आराम निवास में बैठकर कागजों में फाइल बनाकर केवल नागरिकों को इस मरने के हाल में छोड़ दिए हैं। जसपुर जिले में कहा जाए तो पूरे जसपुर जिला कांग्रेश के रंग में रंगा हुआ है एवं यहां के जनप्रतिनिधि बड़े-बड़े पदों पर बैठकर यहां विकास की बातें करते हैं एवं यहां के विकास का आईना को दिखाने के लिए मरवाही चुनाव क्षेत्र मे जाकर इस जिले का गुणगान कर रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत देखने पर कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं।
यूँ तो छत्तीसगढ़ सरकार के नुमाइंदे जशपुर को अलग पहचान दिलाने की बनावटी कसर कभी नहीँ छोड़ते।दरअसल यहां की जमीनी हकीकत देखने के लिए आपको अम्बिकापुर या पत्थलगांव के रास्ते जशपुर आना होगा तब आप यहां की दुर्दशा देख सकते हैं।कहते हैं विकास की धूरी सड़क होती है जो यहां गायब है।जी हां बीजेपी शासनकाल में स्वीकृत निर्माणाधीन एनएच 43 का कार्य अब तक लंबित है।जो न केवल लोगों की परेशानी का सबब बना हुआ है बल्कि विकास के नाम पर बदनुमा दाग बनता नजर आ रहा है।
बात करें पत्थलगांव से जशपुर या पत्थलगांव से अम्बिकापुर दोनों की मार्ग इतने खस्ताहाल हैं कि लक्ज़री गाड़ी में घूमने वाले नेता मंत्रियों को भी इसका एहसास नहीं होता।जिले के प्रभारी मंत्री बीजेपी शासन काल में लामबंद होकर सीतापुर बतौली के बीच धरने पर बैठ गए थे।अब वे कांग्रेस सरकार में मंत्री हैं लिहाजा अपने सरकार के विरोध में कैसे बैठें…? भले ही जनता बिना सड़क के यात्रा करती रहे।
सरगुजा के नरेश कहे जाने वाले बाबा भी अब मंत्री हैं जिन्हें अम्बिकापुर के बाद प्रभारी मंत्री के इलाके से कोई लेना देना नहीं।कभी सड़क मार्ग से पत्थलगांव जशपुर आएं तो कुछ परेशानी का एहसास हो सकता है।यहां के लोग बिना सड़क के कैसे गुजर बसर कर रहे हैं।हांलाकि पत्थलगांव के युवाओं ने अनेकों बार कमर कसी है।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष व युवा सदस्य नीरज गुप्ता ने बताया कि जिले में तीन विधायक,एक सांसद समेत संसदीय सचिव का पद भी सुशोभित है।इसके बावजूद किसी की दाल एनएच विभाग में नहीं गल रही।उन्होंने बताया कि संसदीय सचिव खुद इंजीनियर हैं और घटिया निर्माण की खिलाफत करते भी नजर आते हैं।इसके बावजूद कार्य मे लेटलतीफी और घटिया निर्माण का कोई हिसाब नहीं।आए दिन मलाई का हिस्सा पंहुचने की बातें बाजार में वायरल होती रहती है जिसके कारण अब तक एनएच के ठेकेदारों को प्रश्रय मिलता आया है।अब तक एनएच के किसी ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।पत्थलगांव के युवाओं का कहना था कि अरसा बीत जाने के बाद भी एनएच का निर्माण नहीं हो पाया है।जिसके कारण नगर के अंदर व बाहर हालात बद से बदतर हो चुके हैं।जिसके लिए यहां के नेतृत्व कर्ता सीधे जिम्मेदार हैं।एनएच 43 में लगातार जाम और कहीं जाने के लिए घंटों जान हथेली पर रखकर सफर करना लोगों की मजबूरी हो गई है।
पत्थलगांव नगर के अंदर nh-43 की हालत कई सालों से जस की तस बनी हुई है एवं सड़क को मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए का हर साल वारा न्यारा किया जाता है एनएच विभाग के लिए पत्थलगांव शहर की सड़क सोने के अंडे देने वाली मुर्गी साबित हो रही है जहां करोड़ों रुपए लगाने के बाद भी नागरिक धूल फांकने को मजबूर हैं।यह समस्या वर्षों से बनी हुई जिस ओर देखने वाला कोई नहीं है।वहीं एनएच विभाग भी सोया हुआ है।
सुरसा जैसे मुह बाये सड़क की उड़ती धूल को आखिर एक दो टैंकर पानी से क्या राहत मिलेगी?? यह सवाल नागरिकों के मन में लगातार गूंज रहा है नागरिकों का कहना है कि एनएच विभाग नागरिकों को धूल से बचाने के लिए टैंकर से सड़क जैसे समुद्र में एक दो बूंद पानी डालकर धूल फांक ने के लिए मजबूर कर रहा है। एवं बार-बार सड़क को पानी से धोने से क्या फायदा ?आखिर पीने के लिए मिलने वाला पानी को इस तरह बर्बाद कर एनएच विभाग एवं स्थानीय प्रशासन क्या सिद्ध करना चाहता है सवाल लोगों के जेहन में कौध रहा है।
एनएच विभाग के इंजीनियर अशोक सेसर ने कहा कि पत्थल गांव शहर की सड़क के मरम्मत के लिए टेंडर निकाला गया है जल्द से जल्द मरम्मत कार्य करवाया जाएगा। सड़क के लगातार टूटने के संबंध में जब अशोक सेसर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि शहर का पानी सड़कों पर आता है इस वजह से सड़कें टूट रही है और जल्द ही शहर की सड़कें मरम्मत करवाई जाएंगी एवं धूल से राहत दिलवाई जावेगी। जिस ठेकेदार ने सड़क मरम्मत का काम लिया है उससे जल्द ही काम करवाने की बात कही गई है।