अम्बिकापुर

सरगुजा के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी अशोक सिन्हा के खिलाफ लगे आरोपों की जाँच शुरू: युक्तियुक्तकरण में भ्रष्टाचार का आरोप, संयुक्त संचालक ने 11 बिंदुओं पर माँगी रिपोर्ट

अंबिकापुर: सरगुजा संभाग में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) की प्रक्रिया में हुई कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी, अशोक सिन्हा, के खिलाफ एक बड़ी जाँच शुरू की गई है। संयुक्त संचालक, शिक्षा, सरगुजा संभाग ने जिला शिक्षा अधिकारी, अंबिकापुर को एक पत्र जारी कर 11 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी और दस्तावेज तीन दिन के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह जाँच परवेज आलम गांधी, प्रदेश महासचिव, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग, की शिकायत पर आधारित है। शिकायत में आरोप है कि अशोक सिन्हा ने अपनी गलतियों को छिपाने के लिए नियमों के खिलाफ जाकर लिपिक बृज किशोर तिवारी को पहले निलंबित किया और फिर बिना किसी जाँच के उन्हें बहाल कर दिया।

संयुक्त संचालक, शिक्षा द्वारा माँगी गई जाँच रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से संबंधित आरोप

1. अतिशेष शिक्षकों और रिक्त पदों की सूचियों में गड़बड़ी:
जाँच का एक मुख्य बिंदु यह है कि क्या विकासखंड समितियों द्वारा जिला स्तरीय समिति को सौंपी गई अतिशेष शिक्षकों और रिक्त पदों की सूचियाँ सही थीं। आरोप है कि इन सूचियों में हेरफेर किया गया था, जिससे सही और पारदर्शी तरीके से शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण नहीं हो सका।

2. जिला स्तरीय समिति द्वारा जारी सूचियों में अनियमितता:
यह जाँच की जाएगी कि क्या जिला स्तरीय समिति ने अतिशेष व्याख्याताओं और रिक्त पदों की जो सूची जारी की, वह सही थी और क्या इसमें किसी तरह का बदलाव किया गया था। इस बिंदु पर प्रमाणित प्रतियाँ माँगी गई हैं।

3. काउंसलिंग प्रक्रिया में लापरवाही:
जाँच में यह भी देखा जाएगा कि जिला स्तरीय काउंसलिंग किस तिथि को हुई, इसमें कौन-कौन से अतिशेष व्याख्याता शामिल हुए, और उन्हें रिक्त पदों की कौन सी सूची दी गई थी। आरोपों के अनुसार, काउंसलिंग के दौरान कुछ विद्यालयों में जानबूझकर रिक्त पदों को गलत तरीके से दिखाया गया था।

4. संभाग स्तरीय काउंसलिंग में हेरफेर:
जाँच का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जिला स्तर से संभाग स्तर पर भेजी गई अतिशेष व्याख्याताओं की सूची और रिक्त पदों की जानकारी किस-किस तारीख को भेजी गई थी। इस प्रक्रिया में देरी या जानबूझकर गलत जानकारी देने का आरोप है।

5. काउंसलिंग के बाद पदस्थापना में विसंगति:
आरोप है कि कुछ व्याख्याताओं को काउंसलिंग के बाद ऐसे विद्यालयों में पदस्थ कर दिया गया, जहाँ उनका पद पहले से ही भरा हुआ था। इस बिंदु पर उन सभी व्याख्याताओं की सूची माँगी गई है जिनके साथ ऐसी घटना हुई।

6 लिपिक बृज किशोर तिवारी के निलंबन और बहाली से संबंधित आरोप नियम विरुद्ध निलंबन और बहाली:
जाँच में बृज किशोर तिवारी के निलंबन और बहाली के आदेशों की प्रमाणित प्रतियाँ माँगी गई हैं। आरोप है कि तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए तिवारी को मनमाने ढंग से निलंबित कर दिया और फिर बिना किसी जाँच के बहाल कर दिया।

7. आरोप पत्र और विभागीय जाँच का अभाव:
यह जाँच की जाएगी कि क्या तिवारी के निलंबन के बाद कोई औपचारिक आरोप पत्र (Charge sheet) जारी किया गया था और क्या कोई विभागीय जाँच (Departmental inquiry) हुई थी। आरोप है कि ऐसी कोई भी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, जो कि नियमों का सीधा उल्लंघन है।

अन्य महत्वपूर्ण जाँच बिंदु

8. वरिष्ठता सूची और पदों का विवरण:
जाँच में व्याख्याताओं की राज्य स्तरीय वरिष्ठता सूची और विद्यालयों में सेटअप के अनुसार स्वीकृत पदों की जानकारी भी माँगी गई है। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि क्या पदस्थापना में वरिष्ठता और नियमों का पालन किया गया था।

9. अभ्यावेदनों पर कार्रवाई:
यह भी देखा जाएगा कि जिला, संभाग और राज्य स्तर पर पदस्थ किए गए व्याख्याताओं द्वारा दिए गए आवेदनों (अभ्यावेदनों) पर क्या कार्रवाई की गई। आरोप है कि कुछ सही आवेदनों को भी खारिज कर दिया गया था।

10. जाँच से संबंधित अन्य दस्तावेज:
जाँच को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने के लिए कोई भी अन्य दस्तावेज या जानकारी, जो शिकायत की जाँच के लिए आवश्यक है, उसे भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

संयुक्त संचालक, शिक्षा ने स्पष्ट किया है कि यह जांच अत्यंत गंभीर है इसमें किसी भी प्रकार की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस मामले के खुलासे से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है और सभी की निगाहें इस जांच के परिणामों पर टिकी हैं।

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