जशपुर

जशपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग की करतूतें चरम पर अस्पताल प्रबंधन ने नहीं दी पुलिस को सुचना, आकाशीय बिजली से मृत युवती को दफनाया,SDM के आदेश पर 4 दिन बाद किशोरी के शव को फिर से निकाला गया

मुकेश अग्रवाल पत्थलगांव
जशपुर जिले का स्वास्थ्य विभाग पूरे छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार ,अनियमितता को लेकर चर्चाओं का केंद्र बिंदु बना हुआ है ।जसपुर जिले में कोरोना काल का अवसर का फायदा उठाकर करोड़ों रुपए के बिल लगाकर भारी भ्रष्टाचार किया गया है जिसकी गूंज पूरे छत्तीसगढ़ में गूंज रही है जिस भ्रष्टाचार के लिए जसपुर के युद्धवीर सिंह जूदेव, पूर्व मंत्री गणेश राम भगत, लोकसभा सांसद गोमती साय सहित भाजपा नेताओं ने जमकर नाराजगी जताई जिसके परिणाम स्वरूप जसपुर कलेक्टर ने डाक्टर टोप्पो अस्थि रोग विशेषज्ञ की छुट्टी करते हुए फरसाबहार भेज दिया लेकिन करोड़ों के भ्रष्टाचार का मामला जांच के नाम पर कहीं लीपापोती की भेंट तो नहीं चल जाएगा इस बात की चर्चा पूरे जिले में सर गर्म हो चुकी हैं। भ्रष्टाचार की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है की ताजा मामला कांसाबेल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को लेकर सुनाई दे रहा है।घटना कांसाबेल थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम चिडोरा की है। जहां 17 वर्षीय एक किशोरी लड़की की आकाशीय बिजली की चपेट में आने से मौत हो गई और उसे अस्पताल लाया गया था। अस्पताल में इलाज के दौरान किशोरी लड़की की मौत हुई। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी। जिसके कारण पोस्टमार्टम नहीं कराया गया और परिजनों ने लड़की के शव को दफन कर दिया। मिली जानकारी के मुताबिक चिडोरा निवासी देवकी प्रधान 17 वर्ष 29 मई को दोपहर 2:30 बजे अपने घर के पीछे स्थित आम और जामुन के पेड़ के तरफ गई थी। इसी समय बारिश शुरू हुई और वह आकाशीय बिजली की चपेट में आ गई। इसके बाद वह मौके पर ही बेहोश हो गई और उसे परिजनों के द्वारा अस्पताल लाया गया जहां उसकी मौत हो गई। मौत के बाद परिजन शव को गांव ले गए जहां जंगल किनारे उसे दफन कर दिया गया और इसकी कोई सूचना पुलिस को नहीं दी गई।इसके बाद जब घटना की सूचना अन्य माध्यम से पुलिस को मिली तो फिर एसडीएम बगीचा से अनुमति लेते हुए पुनः आज किशोरी लड़की के शव को फिर से निकाला गया इसके बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की जा रही है।मिली जानकारी के मुताबिक परिजनों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि आकाशीय बिजली से मौत के बाद पोस्टमार्टम कराया जाना अनिवार्य होता है। इसी के तहत मुआवजा प्रकरण तैयार किए जाते हैं। लेकिन अस्पताल प्रबंधन की पूरी जानकारी थी कि इस प्रकार की संदिग्ध मौत पर पोस्टमार्टम कराया जाना अनिवार्य है और इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दिए जाने के प्रावधान है।
लेकीन कांसाबेल अस्पताल प्रबंधन के द्वारा घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी गई, जिसके कारण 4 दिन बाद शव का उत्खनन कराया गया और पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया इससे बड़ी लापरवाही के रूप में भी देखा जा रहा है।थाना प्रभारी श्री टेकराम सारथी ने बताया कि घटना की सूचना पर संज्ञान लेते हुए एसडीम महोदया बगीचा से अनुमति पश्चात शव का उत्खनन कर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की जा रही है।ऐसे मामलों पर ग्राम पंचायतों में बैठे जिम्मेदार कर्मचारियों को निर्देशित करना आवश्यक है वही अस्पताल प्रबंधन पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं आखिर उसने इसकी जानकारी पुलिस को क्यों नहीं दी। देखना यह है कि अब इस मामले पर स्वास्थ्य विभाग के गैर जिम्मेदाराना रवैया पर आखिर कौन सी कारवाही होगी।

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