रायपुर

छत्तीसगढ़ के दो बड़े दंत चिकित्सकों का पंजीयन निलंबित… 3 माह में 6 गांव के 1400 मरीजों के दांत में तार लगाकर सरकारी योजना से एक करोड़ 40 लाख अर्जित करने का आरोप

रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य दंत चिकित्सा परिषद ने दो बहुचर्चित डॉक्टरों का पंजीयन तत्काल प्रभाव से 1 साल के लिए सस्पेंड कर दिया है। ये आदेश आज 18 मार्च 2021 से लागू होगा। ये दोनो डॉक्टर छत्तीसगढ़ डेंटल हॉस्पिटल और श्रीसांई सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल संचालित करते है।

स्वाथ्य बीमा योजना की आड़ में गलत तरीके से कमाई करने वाले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के इन दो डॉक्टरों में पहला नाम डॉ रवि कुमार गोयल (पंजीयन नंबर CGDC/PG/2010/05) और डॉ मनीष कुमार पंडित ( CGDC/PG/2014/67) है। इन दोनो डॉक्टरों पर आरोप था कि इन्होंने 10-10 हजार रुपए के चक्कर में 3 महीने में 6 गांव के 14 सौ बच्चों के दांत में तार लगाकर करीब 1.40 करोड़ रुपए गलत तरीके से अर्जित किए। ये इलाज उन्होंने शासन की योजना के तहत किया था।

फ्री चेकअप कैंप लगाकर किया फर्जीवाड़ा

ये मामला जब सामने आया तो जांच में पता चला कि अभनपुर के पास के गांवों में हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में दांतों की फ्री जांच के नाम पर कैंप लगाया जाता था। यहीं से उन्हें तार लगवाने के लिए राजी किया जाता था। अभनपुर के आस-पास के गांवों में से खोरपा, चंडी, परसूलीडीह, संकरी और टेकारी पलौद समेत अन्य गावों में इन डॉक्टरों ने यह काम किया। चंद गावों में इतने बच्चों के दांतो का इलाज किए जाने के चलते शंका हुई और यह मामला उजागर हो गया।

तीन एजेंसियों ने की जांच

वर्ष 2018-2019 में उजागर हुए इस मामले के सामने आने के बाद हेल्थ डायरेक्टर ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के निर्देश पर तीन एजेंसियों से जांच करवाने का फैसला लिया था। इसमें स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा और बीमा कंपनी से जांच करवाई गई।

स्मार्ट कार्ड से किया था इलाज

राज्य सरकार ने स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लोगों को स्मार्ट कार्ड बनाकर दिया था, जिसके माध्यम से लोगो का मुफ्त में इलाज होता था, और संबंधित बीमा कंपनियां संबंधित अस्पतालों को बीमारी के हिसाब से निर्धारित रकम का भुगतान करती थीं। इस मामले में दोनो डॉक्टरों ने सभी बच्चों का इलाज स्मार्ट कार्ड से किया था। उक्त गांवों के बच्चों के इलाज के लिए दिसंबर 2018 में 30 लाख रुपए स्मार्ट कार्ड से निकले। जनवरी 2019 में 50 लाख और फरवरी में 60 लाख का इलाज हुआ था।

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