
रायपुर – 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज पुलिस परेड ग्राउंड, रायपुर में ध्वजारोहण किया और प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए राज्य की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव’ की शुरुआत की घोषणा की। इस ऐतिहासिक मौके पर, मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को श्रद्धांजलि दी और ‘विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़’ का संकल्प दोहराया।
भाषण के मुख्य बिंदु:
गौरवशाली अतीत और रजत महोत्सव:
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा, “प्यारे प्रदेशवासियों, जय जोहार… आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।” उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को याद करते हुए उन्हें कृतज्ञता से नमन किया। उन्होंने घोषणा की कि राज्य की स्थापना के 25 गौरवशाली वर्षों को ‘छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव’ के रूप में मनाया जाएगा।
आदिवासी नायकों का स्मरण:
श्री साय ने परलकोट विद्रोह के 200 वर्ष पूरे होने पर शहीद गेंदसिंह, शहीद वीर नारायण सिंह, हनुमान सिंह और वीर गुंडाधुर जैसे जनजातीय नायकों के शौर्य को याद किया। उन्होंने कहा कि इन नायकों का बलिदान देशभक्ति की अद्भुत मिसाल है। उन्होंने राज्य के निर्माता पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को भी नमन किया, जिनके अटल संकल्प से छत्तीसगढ़ राज्य का उदय हुआ।
आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार:
मुख्यमंत्री ने सुरक्षा बलों की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में मार्च 2026 तक देश को माओवादी आतंक से मुक्त करने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि पिछले 20 महीनों में 450 माओवादियों को ‘न्यूट्रलाइज’ और 1578 को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, राज्य की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर 1589 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है।
विकास और सुशासन का संकल्प:
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन का असली मतलब अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना है। उन्होंने ताड़मेटला जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में भी विकास पहुंचने का जिक्र किया, जहां अब बैंक शाखाएं और स्वास्थ्य केंद्र खुल गए हैं।
प्रमुख सरकारी योजनाएं और उपलब्धियां:
प्रधानमंत्री आवास योजना: कैबिनेट की पहली बैठक में 18 लाख प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए गए।
महतारी वंदन योजना: 70 लाख से अधिक महिलाओं को हर महीने ₹1000 की आर्थिक सहायता दी जा रही है। अब तक ₹11,728 करोड़ की राशि वितरित की जा चुकी है।
कृषक उन्नति योजना: किसानों से रिकॉर्ड 149 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई। धान के बदले अन्य फसलें लेने वाले किसानों को भी आर्थिक सहायता दी जा रही है।
भूमिहीन कृषि मजदूर योजना: 5.62 लाख भूमिहीन श्रमिकों को प्रतिवर्ष ₹10,000 की सहायता दी जा रही है।
सहकार से समृद्धि: सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2025 को ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ के रूप में मनाया जाएगा।
शिक्षा और कौशल विकास: नवा रायपुर में एजुकेशन सिटी, साइंस सिटी और फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी का कैंपस बनाया जा रहा है
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स्टार्टअप और निवेश: नई स्टार्टअप नीति के तहत 150 स्टार्टअप स्थापित करने का लक्ष्य है। 6.65 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
आधारभूत संरचना और ऊर्जा आत्मनिर्भरता:
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में बिजली की खपत महत्वपूर्ण है। राज्य ‘जीरो पावर कट स्टेट’ बन गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का जिक्र करते हुए कहा कि अब आम जनता बिजली उपभोक्ता के बजाय उत्पादक बन रही है। इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ₹45,000 से लेकर ₹1,08,000 तक की सब्सिडी दे रही हैं।
सुशासन और पारदर्शी प्रणाली:
उन्होंने कहा कि सरकार ने ई-ऑफिस प्रणाली लागू की है, जिससे फाइलों का काम ऑनलाइन और पारदर्शी तरीके से हो रहा है। उन्होंने रजिस्ट्री से जुड़ी 10 क्रांतिकारी पहलें भी बताईं, जिसमें ऑनलाइन रजिस्ट्री और नामांतरण शामिल हैं।
कला, संस्कृति और पर्यावरण:
मुख्यमंत्री ने तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए संग्रहण राशि बढ़ाकर ₹5500 करने और चरण पादुका योजना फिर से शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 3.5 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं, जिससे राज्य में वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
राष्ट्र के प्रति कर्तव्य और स्वदेशी का संकल्प:
भाषण के अंत में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को दोहराते हुए ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी सिर्फ रोजगार का ही माध्यम नहीं, बल्कि देशभक्ति का भी एक उपक्रम है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आइए हम सब स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़ का संकल्प लें।”
उन्होंने जयशंकर प्रसाद की पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त की:
“इस पथ का उद्देश्य नहीं है श्रांत भवन में टिक रहना,
किन्तु पहुंचना उस सीमा पर जिसके आगे राह नहीं।”
उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी का “रामकाजु कीन्हें बिनु मोहि कहां बिश्राम” हमारा आदर्श वाक्य है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के अंत्योदय के सिद्धांत हमारे पथप्रदर्शक हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि जन-जन की सहभागिता से विकसित छत्तीसगढ़ का लक्ष्य अवश्य साकार होगा।
जय भारत – जय छत्तीसगढ़।





