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Video : यह कौन से किसान हैं जो कह रहे हैं इंदिरा गांधी को ठोका अब मोदी की छाती भी ठोक देंगे.. किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा ?

हिंद शिखर न्यूज / पंजाब और हरियाणा के किसान केंद्र सरकार के कृषि सुधार क़ानून के विरोध में ‘दिल्ली चलो मार्च’ निकाल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ प्रदर्शनकारी किसान करनाल से देश की राजधानी दिल्ली की तरफ बढ़ रहे है इस बीच पुलिस प्रशासन ने भी स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया लेकिन विरोध प्रदर्शन के दौरान कई पहलू सामने आ रहे हैं जिसमें सबसे ज़्यादा उल्लेखनीय है किसान आंदोलन का हिंसक पहलू कथित तौर पर ऐसी तमाम तस्वीरें और वीडियो सामने आए जिसमें प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान के समर्थन की बात सामने आ रही है।
इसी तरह का एक वीडियो सामने आया है जिसमें एक तथाकथित किसान द्वारा स्पष्ट तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जैसे इंदिरा गाँधी को ठोका वैसे ही नरेंद्र मोदी को भी ठोक देंगे।

(वीडियो साभार जी न्यूज़)

ट्विटर पर साझा किए गए एक समाचार चैनल के वीडियो में व्यक्ति कहता है, “अभी हमारी सरकार के साथ एक मीटिंग है अगर उसमें कुछ हल निकलता है तो ठीक है। मीटिंग 3 दिसंबर को तय की गई है और हम तब तक यहीं पर रहने वाले हैं। अगर उस मीटिंग में कुछ हल नहीं निकला तो बैरिकेड तो क्या हम तो इनको (शासन प्रशासन) ऐसे ही मिटा देंगे। हमारे शहीद उधम सिंह कनाडा की धरती पर जाकर उन्हें (अंग्रेज़ों को) ठोक सकते हैं तो दिल्ली कुछ भी नहीं है हमारे लिए। जब इंदिरा ठोक दी तो मोदी की छाती भी ठोक देंगे।”
वह प्रदर्शन कर रहे किसानों को उग्र और हिंसक होकर अपनी बातें रखने का आह्वान कर रहे हैं। एक टिप्पणी में यूज़र किसानों के हाथों में एके-47 देने की बात कह रहा है। एक और यूज़र टिप्पणी करते हुए कहता है कि यह सार्वजनिक संपत्ति ही तो है, किसी के बाप की जागीर नहीं है। इसके अलावा तमाम टिप्पणियों में प्रधानमंत्री और सरकार के लिए अपशब्द भी कहे गए हैं।
किसानों के प्रदर्शन के नाम पर इस तरह की हिंसक विचारधारा और खालिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा देने पर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं। ट्विटर पर ऐसी तमाम तस्वीरें साझा की गई जिसमें खालिस्तान समर्थक पोस्टर लेकर प्रदर्शन करते हुए देखे जा सकते हैं।

पोस्टर और तस्वीरों में ‘राज करेगा खालिस्तान’ जैसे नारे भी लिख

कुछ पोस्टर में तो भिंडारवाले की तस्वीर भी लगी हुई है।

असल मायनों में इस प्रदर्शन का मकसद किसान हित है तो इसमें हिंसा का समर्थन और ‘इंदिरा को ठोका और मोदी को भी ठोक देंगे’ इस तरह के जहरीले बयानों का क्या अर्थ बनता है। आंदोलन की आड़ में हिंसात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने और खालिस्तान का समर्थन करने से किसानों का भला होने से रहा। बशर्ते आम नागरिकों के हिस्से की असुविधा और माहौल बिगड़ना ज़रूर सुनिश्चित हो जाएगा। ऐसे में सबसे पहले यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि प्रदर्शन के दौरान ऐसी अराजक ताकत प्रासंगिक न होने पाएँ।
गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों का ‘दिल्ली चलो’ प्रदर्शन अंबाला-पटियाला सीमा पर उग्र हो गया था। यहाँ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बैरीकेडिंग तोड़ कर आगे बढ़ने का प्रयास किया था और पथराव की ख़बरें भी सामने आ रही थीं। इसके अलावा पुलिस ने इन पर आँसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल भी किया था और इस बीच किसान कई दिनों का राशन लेकर दिल्ली की तरफ कूच कर रहे थे। इस मुद्दे पर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बयान दिया था, उन्होंने किसानों से प्रदर्शन नहीं करने की अपील की थी और 3 दिसंबर को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।

 

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