Video : कटघोरा वनमंडल पर लगातार लग रहे भ्रष्टाचार व अनुभवविहीन कार्यशैली के आरोप…अब निर्माणाधीन तेंदूपत्ता गोदाम निरस्त करने की उठी मांग, डीएफओ ने कहा-कह देने से भ्रष्टाचार साबित नही होता,तथ्यात्मक सबूत पेश करे,उचित कार्यवाही की जाएगी
अरविंद शर्मा, हिंद शिखर न्यूज़ कटघोरा/ वन मंडल इन दिनों कई तरह के आरोपो का दंश झेल रहा है।आएदिन इस मण्डल पर भ्रष्टाचार जैसे गम्भीर आरोप भी लग रहे हैं।यहाँ पदस्थ वनमंडलाधिकारी शमा फारूकी सहित कई अधिकारियों की कार्यशैली भी चर्चाओं का विषय बनी हुई है।आखिर कटघोरा वनमंडल एकाएक इस तरह सुर्खियों का विषय क्यों बना हुआ है?क्या वाकई वनमंडल भ्रष्ट हो चुका है?
दरअसल कटघोरा वन मंडल इन दिनों अनेको आरोपो से घिरता नजर आ रहा है।बीते दिनों इस वन मण्डल के अधीनस्थ केंदई रेंज में दो हाथी शावकों की मौत हो गई थी।जिस पर पूरा मण्डल कटघरे में आ गया था विभागीय कार्यशैली पर भी सवाल उठे थे ।इसके कुछ दिनों बाद ही जड़गा वनपरिक्षेञ के रावा सर्किल में नर वयस्क तेंदुए की मौत हो गई।इस बार पूरे वन अमले की नींद उड़ गई थी।एकाएक वन्यप्राणियों की मौत पर डीएफओ ने भी चिंता जाहिर की थी आखिर वन्यप्राणियों की इस कदर मौत क्यो रही है..? वनमंडलाधिकारी शमा फारूकी भी हरकत में आई और लगातार वन्यप्राणियों की हो रही मौतो का कारण जानने का शिलशिला शुरू हुआ। जिसमे प्रथम दृष्टया वन्यप्राणियों की मौत नेचुरल डेथ लग रही थी फिर भी फारूकी ने रायपुर से एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम बुलाई और वनों में विचरण कर रहे वन्यप्राणियों को ट्रेस कर उनके बीमारी संबंधित हालातो का जायजा लिया गया।इन सबके बीच मजे की बात यह रही कि हर मामलो में सीधे तौर पर डीएफओ शमा फारूकी को ही दोषी ठहराया जा रहा है तथा इनकी कार्यशैली भी अनुभवविहीन दर्शाई जा रही है।
फिलहाल कटघोरा वनमंडल में एक और ताजा मामला सामने आया है।जहाँ वनमंडलाधिकारी शमा फारूकी पर फिर गम्भीर आरोप लगाए गए हैं।दरअसल कसनिया डिपो में एक करोड़ चौतीस लाख की लागत से लघु वनोपज केंद्रीय गोदाम का निर्माण कार्य चल रहा है।तात्कालीन डीएफओ संत साहब के कार्यकाल में मई 2019 से इस गोदाम का निर्माण कार्य शुरू किया गया और लगभग 39 लाख की राशि भी भुगतान की गई थी।इस कार्य की निर्माण एजेंसी वन काष्टागार अधिकारी को बनाया गया था।गोदाम निर्माण को लेकर वतर्मान डीएफओ शमा फारूकी की कार्यशैली पर फिर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं और डीएफओ पर अपने चहेते ठेकेदार को कार्य देने की बात कही जा रही है।
जिला वनोपज यूनियन वनमंडल के अध्यक्ष भावन सिंह सरोठिया, उपाध्यक्ष लिलार गोस्वामी द्वारा ने डीएफओ व रेंजर की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कसनिया काष्टागार पहुँच विरोध जताया है।यूनियन का कहना है कि गोदाम का निर्माण कार्य नियम से समिति को आबंटित होना था लेकिन कटघोरा डीएफओ ने गोदाम निर्माण कार्य के लिए अपने चहेते ठेकेदार बिलासपुर के वाहीद अली को दे दिया गया है।ठेकेदार द्वारा अमानक सामाग्री लगाने के साथ घटिया व स्तरहीन कार्य किया जा रहा है।बताया जा रहा है कि गोदाम का निर्माणकार्य घटिया तरीक़े से किये जाने कि वजह से पूर्व में कई बार भरभराकर गिर चुका है।
यूनियन की नाराजगी गोदाम निर्माण कार्य किसी बिलासपुर के ठेकेदार को देने से बनी है बल्कि निर्माण एजेंसी रेंजर को बनाये जाने से बनी है। समिति के उपाध्यक्ष लिलार गोस्वामी ने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार वाली बात को एक सिरे से खारिज कर दिया है और कहा कि.. अधिकारियों की कार्यशैली से हमे कोई लेना देना नही है। हमारी मांग है कि गोदाम निर्माण एजेंसी वनोपज समिति को होना था हमारी सहमति बिना एजेंसी रेंजर को बनाया गया है तथा निर्माण कार्य स्तरहीन तरीके से किया जा रहा है।जबकि पैसा भी तेंदूपत्ता समिति से दिया गया है।हमारी मांग है गोदाम कार्य को निरस्त किया जाए और अगर हमारी मांगे पूरी नही होती है तो समिति के निर्णय अनुसार आगे सख्त कदम उठाए जाएंगे।
डीएफओ शमा फारूकी के पदभार संभालते ही इनकी कार्यशैली को लेकर लगातार आरोप लग रहे हैं।क्या वाकई फारूकी भ्रष्ट अधिकारी की श्रेणी में शामिल हैं।आखिर वनमंडल में घटित मामलो पर सीधे फारूकी को ही क्यो घेरा जा रहा है।सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार डीएफओ शमा फारूकी की कार्यशैली उन चुनिंदा अफसरों में से है जो भ्रष्टाचार व लीपापोती जैसे कार्यो को बिलकुल बर्दास्त नही करते हैं।कटघोरा वनमंडल का पदभार संभालते ही फारूकी ने अपनी छटा बिखेरी और लगातार अधीनस्थ रेंजों विजिट कर जीरो ग्राउंड से कार्यो का जायजा लिया इस दौरान कई कार्यो में खामियां नजर आई और कई कार्य सराहनीय भी रहे।अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी विभागीय कार्यो को ईमानदारी बरतने नसीहत दी है।अब ऐसे आईएफएस अधिकारी की कार्यशैली से कइयों के चेहरों पर झाइयां तो आनी ही थी।इनके कार्यो की सराहना भी की जा रही है कि वर्षो बाद कोई ऐसा अधिकारी विभाग में आमद दिया है जिसने सही कार्यो को प्राथमिकता दी है वरना तो वनमंडल अपने भ्रस्ट कार्यशैली से ही जाना गया है।
सूत्र बताते हैं कि विभाग के ऊपर आरोपो की बड़ी वजह जड़गा व केंदई रेंज में हुए निर्माण कार्य है।जहाँ करोड़ो की लागत से दर्जनों एनीकटों का निर्माण किया गया है। रेंजर की सहमति से स्थानीय ठेकेदारों को भी अपनी मशीनरी उपयोग करने का मौका मिला था।जिसमे कुछ ठेकेदारों ने तो कार्यो को बखूबी गुणवत्तापूर्ण किया है वहीँ कुछ निर्माण कार्य गुणवत्ता की सीमा से परे नजर आ रहे थे अब इनका भुगतान आखिर कैसे संभव हो सकता है। डीएफओ शमा फारूकी ने बताया कि जड़गा रेंज में बने एनीकट वन्यप्राणियों व स्थानीय ग्रामीणों के लिए कारगर सिद्ध होंगे।यहाँ बने एनीकट सालो से विवादों के घेरे में हैं मेरे द्वारा मौके का निरीक्षण किया गया तथा जांच टीम गठित कर इनकी जांच की गई।जांच में जितने भी कार्य गुणवत्ता की श्रेणी में पाए गए हैं उनका भुगतान किया जा रहा है और जिनमे छोटी मोटी खामियां पाई गई है उन्हें पूरा करने को कहा गया है।इस बीच कुछ निर्माणकार्यो को रिजेक्ट भी किया गया है।जिनका भुगतान किसी भी कंडीशन में संभव नही है।
इस तरह अपनी जिम्मेदारियों का वहन कर रही वनमंडलाधिकारी शमा फारूकी पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप आखिर कितने सार्थक हैं ये तो इनकी कार्यशैली ही बया कर सकती है।इन्होंने सालो से रुके मजदूरी भुगतान व किसानों का मुआवजा प्रकरण भी समयानुसार पूरा किया है।फारूकी ने बताया कि केवल भ्रष्टाचार कह देने से भ्रष्टाचार साबित नही होता है।भ्रष्टाचार पूरे सबूतों के साथ पेश करे,अगर वाकई कहि पर ऐसे कार्य हुए हैं तो बिल्कुल उनकी जांच की जाएगी और संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही भी सुनिश्चित होगी।