सूरजपुर

हाथी मौत मामले में वन विभाग ने दो ग्रामीणों को गिरफ्तार कर भेजा जेल.. खुद को बचाने निर्दोष ग्रामीणों को फंसा रहे अधिकारी : जगत लाल…विभाग ने पूर्व मामले में सस्पेंड कर्मचारी को बनाया सर्किल इंचार्ज….शावक समेत 6 हाथियों की हो चुकी है मौत, जिम्मेदारों पर अब तक कार्यवाही नहीं..

प्रतापपुर।सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परीक्षेत्र अंतर्गत करंजवार जंगल में हाथी की मौत के मामले में दो ग्रामीणों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया जहां उन्हें जेल भेज दिया गया। गिरफ्तारी के बाद जनपद अध्यक्ष, बीडीसी, सरपंच सहित काफी संख्या में ग्रामीणों ने वन विभाग दफ्तर का घेराव कर दिया वहीं जिस वाहन में दोनों को ले जाया जा रहा था उसे भी घंटों रोके रखा और जमकर हंगामा किया। ग्रामीणों ने कहा कि वन विभाग द्वारा निर्दोष ग्रामीणों को फंसाया जा रहा है उनके द्वारा हाथी को नहीं मारा गया है। पुलिस के समझा इसके बाद मामला शांत हुआ।
गौरतलब है कि प्रतापपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत करंजवार जंगल में रविवार की सुबह एक हाथी का शव मिला था। उसके मुंह से खून निकलना निकल रहा था। सोमवार को शव का पीएम किया गया। इधर वन विभाग ने हाथी की करंट से मौत की बात कहते हुए करंजवार के दो ग्रामीणों को हिरासत में लेकर रात-भर पूछताछ की जिसके बाद आज अर्जुन साहू व शिवनारायण सिंह को आरोपी बनाकर न्यायालय में पेश कर जेल भेजने की तैयारी कर रहा, इसी दौरान ग्रामीणों को इसकी जानकारी मिली तो आरोपियों के परिजन और बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि व ग्रामीण रेंज कार्यालय पहुंच गए और उस गाड़ी को घेर लिया जिसमें दोनों संदिग्ध आरोपियों को बैठाया गया था। इनका आरोप था कि वन विभाग जिन्हें आरोपी बता रहा है वह निर्दोष हैं और खुद वन विभाग अपने आप को बचाने के लिए उन ग्रामीणों को दोषी बता रहे हैं जो निर्दोष है।
मौके पर उपस्थित एसडीओ मनोज विश्वकर्मा और रेंजर पीसी मिश्रा ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन सभी गाड़ी की घेराबंदी कर खड़े रहे।इसकी जानकारी जब पुलिस को मिली तो थाना प्रभारी विकेश तिवारी,प्रधान आरक्षक बंटी सिंह,अभय तिवारी व अन्य भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने पूरा मामला समझ ग्रामीणों को समझाया कि अब सभी कार्यवाही हो गई है और अगर ये निर्दोष हैं तो न्यायालय से छूट जाएंगे।काफी देर तक बहस होने के बाद मौके पर मौजूद जनपद अध्यक्ष जगत आयाम, संजीव श्रीवास्तव, नवीन जायसवाल, त्रिभुवन सिंह,अनिल सिंह ने निर्दोष को वन विभाग द्वारा आरोपी बनाये जाने पर आंदोलन की चेतावनी देते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उच्चाधिकारियों से करने की बात कही है।

खुद को बचाने के लिए निर्दोष ग्रामीणों को फंसा रहे है अधिकारी: जगतलाल आयाम

जनपद अध्यक्ष जगत आयाम ने कहा कि अधिकारी खुद को बचाने के लिए निर्दोष ग्रामीणों को फंसा रहे है। इस पूरे मामले में जब्ती पत्रक में खुद विभाग का चौकीदार ने गलत बताते हुए दस्तखत करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा होता है। उन्होने आन्दोलन की चेतावनी दी है। ब्लॉक कांग्रेस उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि खुद विभाग का चौकीदार जब्ती पत्रक को फर्जी बताते हुए दस्तखत करने से इनकार कर रहा है। साथ ही विभाग इस घटना के साथ 11 मई को इसी जंगल में मिली सड़ी-गली लाश के मामले को दबाने के लिए अपने ही अधिकारियों को बचाने में लगी है। कांग्रेस जिला कार्यकारिणी सदस्य नवीन जायसवाल ने इस मामले में फर्जी ढंग से ग्रामीणों को आरोपी बनाने का आरोप लगाया है। राजीव गांधी पंचायती राज्य संगठन के जिलाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह ने भी विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए निर्दोषों को फंसाने के आरोप लगया है। उन्होनें आंदोलन की बात भी कही है। इधर आरोपियों के परिजनों ने अर्जुन के साथ मारपीट का भी आरोप लगाया है। फिलहाल विभाग ने आरोपियों को न्यायालय सूरजपुर भेज दिया है।

विभाग ने पूर्व मामले में सस्पेंड कर्मचारी को बनाया सर्किल इंजार्च

सूत्रों के अनुसार वन विभाग द्वारा करंजवार सर्किल का इंचार्ज फिर उस कर्मचारी को ही बनाया गया है जिसे पूर्व में सस्पेंड किया जा चुका था। जिस तार को वन विभाग द्वारा जब्त किया गया है वह डिस्क वायर है। यह तार वहां से गुजरे 11 केव्ही के तरंगित तार में नहीं टिक सकता। बताया जा रहा है कि वन विभाग के अफसर खुद को बचाने ये हथकंडा अपना रहे हैं।

शावक समेत 6 हाथियों की हो चुकी है मौत, जिम्मेदारों पर अब तक कार्रवाई नहीं

दिसंबर 2019 से अब तक 8 महीने में प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में शावक समेत 6 हाथियों की मौत हो चुकी है। इसका जिम्मेदार कौन है? यह बताने को कोई तैयार नहीं है।
धरमपुर क्षेत्र में 1, गणेशपुर में 2 हथिनी, इसमें से एक हथिनी के गर्भ में पल रहा शावक, 4 महीने पूर्व करंजवार जंगल में मिला हाथी का शव व रविवार को मिले हाथी का शव शामिल है। इन मामलों में अब तक जिम्मेदारों पर कार्रवाई शून्य है।

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