कुशवाहा समाज ने गायत्री मंदिर में मनाई कुश जयंती.. समाज को एकत्रित और संगठित रहने किया आह्वान..

सूरजपुर-कुशवाहा युवा एकता सेवा कल्याण मंच के तत्वाधान में आज गयात्री मंदिर भैयाथान में कुश जयंती सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनाई गई। इस अवसर पर भगवान कुश की पूजा-अर्चना की गई एवं युवा मंच के संकल्प पत्रों का वाचन किया गया। साथ ही साथ कोरोना काल में कोरोना वायरस के बारे में भी जानकारी समाज के लोगों को दिया गया। इस अवसर पर कुशवाहा युवा एकता मंच के अध्यक्ष तोषित कुशवाहा ने बताया कि कुशवाहा समाज भगवान लव कुश को अपना आराध्य देव मानती हैं। इसलिए कुश जयंती श्रावण मास में मानते हैं उन्होंने कहा कि जैसे माता सीता जी ने जंगल में रहकर लव कुश को अच्छी शिक्षा दीक्षा दी उसी प्रकार हर माता को अपने अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने चाहिए। कार्यक्रम में उपाध्यक्ष सनलीत कुशवाहा ने कहां की माता सीता को राजा रामचंद्र द्वारा वनवास दिया गया। लेकिन वनवास में दो बालकों को जन्म दिया और शिक्षा दी जिन्होंने अपने पिता राम का अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा पकड़कर सिद्ध कर दिया कि माता द्वारा दी गई शिक्षा से बच्चों का भविष्य बन जाता है और संसार में कुछ कर दिखाने के काबिल हो जाते हैं।
सचिव सुग्रीव कुशवाहा ने भगवान कुश के जीवन परिचय पर प्रकाश डाल कर समाज को एकत्रित और संगठित रहने का आह्वान किया।और उन्होंने कहा कि जो समाज संगठित होता है उसका कभी भी कोई शोषण नहीं कर पाता और ना ही उस पर अत्याचार हो पाते हैं। जो समाज बिखरा हुआ होता है उसका हर कोई शोषण करने को तैयार रहता है।
इस दौरान सत्येंद्र कुशवाहा, धीरेंद्र कुशवाहा, श्रीमती पुष्प लता, श्रीमती बेला कुशवाहा, रूपेंद्र कुशवाहा, रूद्र प्रताप कुशवाहा, शोभनाथ कुशवाहा, ओमप्रकाश कुशवाहा, मोहन राम कुशवाहा, रामदेव राम कुशवाहा एवं कुशवाहा समाज के अन्य लोग उपस्थित थे।