प्रेम में बाधक बने पति का किया कत्ल, पत्नी और प्रेमी को आजीवन कारावास

सूरजपुर। एक सनसनीखेज “अंधे कत्ल” के मामले में, माननीय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सूरजपुर ने मृतक की पत्नी और उसके प्रेमी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। इस जघन्य हत्याकांड को सुलझाने में पुलिस के लिए डॉग स्क्वाड की सटीक निशानदेही, ‘लास्ट सीन थ्योरी’ और कॉल डिटेल्स (CDR) जैसे वैज्ञानिक और तकनीकी साक्ष्य मुख्य आधार बने।
दिनांक 03 जनवरी 2024 को सूरजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम नमदगिरी के नरेश देवांगन ने सूचना दी कि गाँव के ही सुनील देवांगन (मृतक) का शव एक खेत में पड़ा मिला है। सुनील 02 जनवरी की शाम से लापता था। शव को देखने पर संदेह हुआ, जिसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर ने मृत्यु की प्रकृति ‘हत्यात्मक’ बताई। इस आधार पर थाना सूरजपुर में तत्काल अपराध क्रमांक 04/2024 धारा 302 भादवि. के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई।
मामले की विवेचना कर रहे थाना प्रभारी, निरीक्षक विमलेश दुबे ने घटनास्थल पर डॉग स्क्वाड की मदद ली। जांच के दौरान डॉग मास्टर द्वारा मृतक सुनील देवांगन के कमरे और उसकी पत्नी लक्ष्मी देवांगन की ओर बार-बार इंगित किया गया, जिससे शक की सुई घर की तरफ मुड़ी। इसी दौरान, मुखबिरों से भी पुलिस को सूचना मिली कि मृतक की पत्नी लक्ष्मी देवांगन का गाँव के ही रामकुमार केंवट के साथ प्रेम संबंध है।
पुलिस द्वारा लक्ष्मी देवांगन से सख़्ती से पूछताछ करने पर उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि उसके और रामकुमार के प्रेम संबंध की भनक पति सुनील को लग गई थी, जिसके कारण अक्सर घर में झगड़े होते थे। प्रेम संबंध में बाधक बने सुनील को रास्ते से हटाने के लिए दोनों ने मिलकर हत्या की योजना बनाई। योजना के तहत, उन्होंने गमछे से सुनील का गला दबाकर निर्मम हत्या कर दी और फिर शव को कुछ दूर ले जाकर सोहन के खेत में फेंक दिया ताकि यह एक सामान्य मौत लगे।
पुलिस ने पुख्ता साक्ष्य संकलित करते हुए दोनों आरोपियों – रामकुमार केंवट (32 वर्ष) और लक्ष्मी देवांगन (28 वर्ष) को गिरफ्तार कर माननीय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश न्यायालय सूरजपुर में आरोप पत्र पेश किया। प्रकरण का संचालन अपर लोक अभियोजक के.के. नाविक द्वारा किया गया।
माननीय न्यायाधीश डायमंड कुमार गिलहरे ने मामले की पूरी सुनवाई की। न्यायालय ने अपने फैसले में पाया कि डॉग स्क्वाड, फोरेंसिक एविडेंस, लास्ट सीन थ्योरी और आरोपियों की कॉल डिटेल से संकलित साक्ष्य संदेह से परे अपराध को सिद्ध करते हैं।
माननीय न्यायालय ने आरोपी रामकुमार केंवट और लक्ष्मी देवांगन को धारा 302, 34 भादंसं. (हत्या) के अपराध हेतु आजीवन कारावास और 10-10 हजार रुपये के अर्थदण्ड की सज़ा सुनाई। साथ ही, धारा 201, 34 भादंसं. (साक्ष्य मिटाने) के अपराध हेतु 2 वर्ष के सश्रम कारावास और 10-10 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया। इस फैसले ने साबित कर दिया कि तकनीक और पुलिस की सूझबूझ से जघन्य “अंधे कत्ल” भी अनसुलझे नहीं रह सकते।



