कलेक्टर सरगुजा ने अनुसूचित जनजाति की भूमि पर अवैध कब्जे पर लिया कड़ा रुख, अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश
अम्बिकापुर: सरगुजा जिले में अनुसूचित जनजाति की भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों और गैर-कानूनी हस्तांतरण को रोकने के लिए कलेक्टर श्री विलास भोसकर ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि सरगुजा एक अनुसूचित जनजाति क्षेत्र है, फिर भी गैर-आदिवासियों द्वारा बेनामी तरीकों से आदिवासियों की जमीन का अवैध उपयोग किया जा रहा है, जो छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 170 (ख) का स्पष्ट उल्लंघन है।
कलेक्टर ने सभी अनुविभागीय अधिकारियों, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि पटवारियों से परिशिष्ट ‘ई’ में रिपोर्ट लेकर अनुसूचित जनजाति की भूमि को उनके असली मालिक को लौटाने की कार्रवाई की जाए। साथ ही, हर महीने इस कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा गया है।
कलेक्टर ने यह भी स्पष्ट किया है कि शासकीय पट्टों (जैसे पुनर्वास पट्टा, सिंहदेव पट्टा, वन अधिकार पत्र आदि) से मिली भूमि को कलेक्टर की अनुमति के बिना बेचना पूरी तरह से अवैध है। उन्होंने जिला पंजीयक और उप-पंजीयक को चेतावनी दी है कि वे बिना अनुमति के ऐसे किसी भी अनुबंध को पंजीकृत न करें, अन्यथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, कलेक्टर ने ग्राम सुभाषनगर, भगवानपुर, तुर्रापानी, डिगमा, नेहरूनगर, चठिरमा और सरगवां में पुनर्वास मद की भूमि के बार-बार अपंजीकृत अनुबंध पत्रों से बिकने की शिकायतों का संज्ञान लिया है। उन्होंने तहसीलदारों को निर्देश दिए हैं कि इन मामलों में फौती नामांतरण या बंटवारे से पहले स्थल की जांच जरूर करें। मैनपाट तहसील में तिब्बती शरणार्थियों को दी गई सरकारी भूमि की भी कड़ी निगरानी रखने और अवैध कब्जों को रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
कलेक्टर का यह कदम अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करेगा और उनकी भूमि पर किसी भी प्रकार के अवैध कब्जे या हस्तांतरण पर रोक लगाएगा।


