अडानी कंपनी पर आधी रात को किसानों की खड़ी फसल उजाड़ने का आरोप, फर्जी ग्राम सभा से जमीन हड़पने का दावा; ग्रामीणों में भारी आक्रोश…

उदयपुर: छत्तीसगढ़ के उदयपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम साल्ही में अडानी कंपनी पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने फर्जी ग्राम सभा के दस्तावेजों के आधार पर और बिना किसी पूर्व सूचना के, किसानों की खड़ी फसल पर बुलडोजर चलाकर जमीन पर कब्जा कर लिया है। यह घटना शुक्रवार, 11 जुलाई की सुनसान रात करीब 12 बजे की बताई जा रही है, जब अडानी कंपनी के लोगों ने कथित तौर पर कई बुलडोजर लगाकर किसानों के खेतों को तहस-नहस कर दिया।
किसानों का आरोप है कि कंपनी ने जिस ग्राम सभा की कार्यवाही के आधार पर जमीन अधिग्रहण का दावा किया है, वह पूरी तरह से फर्जी है और ग्राम पंचायत में ऐसी कोई बैठक हुई ही नहीं थी। इस कार्रवाई से सबसे अधिक नुकसान आनंद राम कुसरो और अन्य ग्रामीण किसानों को हुआ है, जिनकी आजीविका का एकमात्र साधन उनकी फसल थी।
“हमसे बिना पूछे, बिना नोटिस के हमारी फसल पर बुलडोजर चला दिया गया”
पीड़ित किसान आनंद राम कुसरो ने दर्द बयां करते हुए कहा, “हमने पूरे सीजन की मेहनत से फसल उगाई थी, और ये हमारी आजीविका का एकमात्र साधन था। हमसे बिना पूछे, बिना नोटिस के आधी रात को हमारी फसल पर बुलडोजर चला दिया गया। यह अन्याय है।” उन्होंने सरकार से न्याय की गुहार लगाई है।
कई किसानों की फसल बर्बाद, भाजपा की संलिप्तता का आरोप
नुकसान झेलने वाले प्रमुख किसानों में आनंद राम कुसरो के अलावा बुधराम उइके, भगवती राम, बुधराम, प्रकार उइके, पवन कुसरो, और संत राम कुसरो भी शामिल हैं, जिनकी जमीनों पर बुलडोजर चलाए गए हैं। ग्राम साल्ही के युवा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता राजा जयसिंह कुसरो ने अडानी कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह कार्रवाई “डर की भावना से” की गई है। उन्होंने दावा किया कि इससे स्पष्ट होता है कि अडानी कंपनी किसानों से डरी हुई है क्योंकि परसा कोल माइंस फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव के आधार पर जबरन खोला गया है। जयसिंह कुसरो ने इस कार्रवाई में भाजपा की संलिप्तता का भी आरोप लगाया है और फर्जी ग्राम सभा की पारदर्शिता एवं निष्पक्ष जांच की मांग की है।
मामला गरमाया, बड़े आंदोलन की संभावना
यह मामला अब तेजी से गरमा रहा है, और किसानों के समर्थन में कई सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधि सामने आ रहे हैं। यदि इस पूरे प्रकरण की जांच जल्द और निष्पक्ष तरीके से नहीं हुई, तो क्षेत्र में बड़े आंदोलन की संभावना जताई जा रही है। किसान और ग्रामीण इस अवैध कब्जे और फसल बर्बादी के खिलाफ न्याय की मांग को लेकर एकजुट हो रहे हैं।





