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शनि शिंगणापुर देवस्थान में 500 करोड़ का महाघोटाला: फर्जी कर्मचारियों और मोबाइल ऐप से करोड़ों की धोखाधड़ी उजागर, घोटाले के खुलासे के बाद ट्रस्ट बोर्ड को तत्काल प्रभाव से भंग ..

करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र महाराष्ट्र के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर देवस्थान में एक बड़े वित्तीय अनियमितता और धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसने पूरे महाराष्ट्र में हलचल मचा दी है। चैरिटी कमिश्नर कार्यालय की एक विस्तृत रिपोर्ट ने इस 500 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का खुलासा किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने और व्यापक जांच के आदेश दिए हैं।
फर्जी कर्मचारियों का जंजाल

रिपोर्ट के अनुसार, देवस्थान में 2,447 फर्जी कर्मचारियों की नियुक्ति कागजों पर की गई थी, जबकि असल में कर्मचारियों की संख्या नगण्य थी। इन फर्जी नामों पर हर महीने करोड़ों रुपये का वेतन निकाला जा रहा था। अस्पताल, भक्त निवास, दान काउंटर, तेल बिक्री काउंटर, पार्किंग, गोशाला, खेती, वृक्ष संरक्षण, स्वच्छता, जल आपूर्ति, बिजली और सुरक्षा जैसे विभिन्न विभागों में भी ऐसे ही फर्जीवाड़े का पता चला है। उदाहरण के लिए, देवस्थान के अस्पताल में 327 कर्मचारी बताए गए थे, लेकिन जांच में न तो कोई मरीज मिला और न ही उतने कर्मचारी। इसी तरह, 109 कमरों वाले भक्त निवास में 200 कर्मचारी दिखाए गए थे, जबकि मौके पर 2 से 10 कर्मचारी ही मिले।

मोबाइल ऐप घोटाला: आस्था की आड़ में लूट

घोटाले का एक और चौंकाने वाला पहलू फर्जी मोबाइल ऐप के माध्यम से हुआ लाखों रुपये का घपला है। भक्तों से ऑनलाइन पूजा, दर्शन और शनिदेव को तेल चढ़ाने के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही थी, जो सीधे निजी खातों में जा रही थी। इस मामले की जांच के लिए साइबर पुलिस को भी लगाया गया है।

मुख्यमंत्री का कड़ा रुख और कार्रवाई के आदेश

विधानसभा में विधायक विठ्ठल लंघे और सुरेश धस सहित अन्य सदस्यों द्वारा उठाए गए इस गंभीर मुद्दे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि जो भी कर्मचारी या विश्वस्त लोकसेवक की श्रेणी में आते हैं, उनकी संपत्ति की भी जांच होगी और उनके खिलाफ फौजदारी मुकदमे दर्ज किए जाएंगे।
घोटाले के खुलासे के बाद शनि शिंगणापुर देवस्थान ट्रस्ट बोर्ड को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है। अब शिर्डी के साईबाबा संस्थान और पंढरपुर के विट्ठल देवस्थान की तर्ज पर यहां भी एक शासकीय समिति गठित की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी धांधली रोकी जा सके। मुख्यमंत्री ने पूर्व में इस मामले में क्लीन चिट देने वाले धर्मादाय विभाग के अधिकारी की भी जांच के आदेश दिए हैं।
यह घोटाला महाराष्ट्र के धार्मिक ट्रस्टों में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

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