Video : अंबिकापुर में भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा: भक्ति, उत्साह और आस्था का संगम

अंबिकापुर – शुक्रवार को अंबिकापुर शहर भक्ति और उल्लास में डूब गया, जब भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भव्य रथ यात्रा धूमधाम से निकाली गई. हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस पावन अवसर के साक्षी बने और भगवान जगन्नाथ को उनकी मौसी के घर, दुर्गा बाड़ी तक पहुँचाया, जहाँ वे अगले नौ दिनों तक प्रवास करेंगे. इस दौरान शहर भर में जगह-जगह रथ यात्रा का भव्य स्वागत किया गया और भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का वितरण किया गया, जिसने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया.
एकांतवास के बाद भगवान के दर्शन और नेत्रोत्सव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर विशेष स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ अस्वस्थ हो जाते हैं और एकांतवास में चले जाते हैं. इस अवधि में मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और रथ को भी मंदिर से बाहर निकाल दिया जाता है. भक्तों के लिए यह अवधि प्रतीक्षा की होती है, जिसके बाद भगवान एक बार फिर दर्शन देते हैं. इस वर्ष बुधवार को भगवान जगन्नाथ ने अपने भक्तों को पहली बार दर्शन दिए और कल उनका नेत्रोत्सव मनाया गया. इस अवसर पर पंडित रश्मिनंद पांडा ने विधि-विधान से कलश और चक्र आदि की पूजा-अर्चना कराई, और मंदिर में उभजात्रा पूजा भी संपन्न हुई.
रथयात्रा की भव्य तैयारियां और शुभ मुहूर्त
उत्कल समाज और श्री जगन्नाथ मंदिर समिति ने रथ यात्रा के लिए व्यापक तैयारियां की थीं. रथ की साज-सज्जा का कार्य कई दिनों से चल रहा था, ताकि भगवान की यात्रा भव्य और दिव्य हो सके. परंपरा के अनुसार, शुक्ल पक्ष द्वितीया के दिन भगवान स्वस्थ होकर अपनी मौसी के घर गुडिचा यात्रा पर निकलते हैं. शुक्रवार दोपहर 1:00 बजे का शुभ मुहूर्त तय किया गया, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के साथ रथ पर आरूढ़ हुए. यात्रा से पूर्व डॉ. राजेंद्र नारायण परीडा और उनकी पत्नी श्रीमती डॉ. भावना परीडा ने भगवान और रथ की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की.
उत्साह से लबरेज यात्रा मार्ग
पूजा-आरती के बाद, भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा तिवारी बिल्डिंग रोड स्थित मंदिर से शुरू हुई. यात्रा का मार्ग श्रद्धालुओं से खचाखच भरा था, जो अपने आराध्य के दर्शन को लालायित थे. रथ यात्रा जोड़ापीपल, चौपाटी, आकाशवाणी चौक, गांधी चौक, घड़ी चौक, ब्रह्म रोड, जयस्तंभ चौक, महामाया चौक से होते हुए देवीगंज रोड के रास्ते देर शाम दुर्गाबाड़ी स्थित मौसी के घर पहुंची. इन नौ दिनों के प्रवास के बाद, दसवें दिन देवशयनी एकादशी के अवसर पर भगवान जगन्नाथ बाहुड़ी यात्रा के माध्यम से अपने धाम लौटेंगे.
रथ खींचने की होड़ और शहर भर में स्वागत
जगन्नाथ मंदिर के अध्यक्ष मनोज कंसारी ने बताया कि रथ यात्रा के दौरान भक्तों में रथ खींचने की अद्भुत होड़ लगी रही. यह गहरी आस्था है कि रथ खींचने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है, यही कारण था कि हर कोई रथ को छूने या खींचने के लिए आतुर दिख रहा था. शहर के विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, व्यापारियों, विश्व हिंदू परिषद, हिंदू महासभा और अन्य गणमान्य नागरिकों ने रथ यात्रा का भव्य स्वागत किया. जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई, भगवान की आरती उतारी गई और भक्तों के लिए शरबत, पानी, खिचड़ी और हलवा का प्रबंध किया गया था, जिससे पूरे शहर में उत्सव का माहौल बना रहा.



इस पावन अवसर पर सरगुजा सांसद चिंतामणि महाराज, नगर पालिक निगम की महापौर मंजूषा भगत, पूर्व महापौर अजय तिर्की, ललन सिंह, जन्मेजय मिश्रा, बलराम दास, जदु शामल, कृष्णा, देवनाथ, चंदन, भूपेंद्र सिंह, आलोक कंसारी, चिंकू, शुभम, दीनबंधु, संतोष पार्षद सुमन कंसारी सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने भगवान जगन्नाथ के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की.




