देशके 52 वें CJI बने बीआर गवई: मनीष सिसोदिया को जमानत, योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर पर रोक, इलेक्टोरल बॉन्ड पर बड़ा फैसला, एससी/एसटी समुदाय में क्रीमी लेयर बनाने की वकालत..देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने आज देश के 52 वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस गवई, जो बौद्ध धर्म का पालन करते हैं, इस पद पर पहुंचने वाले दलित समुदाय के दूसरे व्यक्ति हैं। उनसे पहले, जस्टिस के.जी. बालकृष्णन 2007 में देश के पहले दलित CJI बने थे।
न्यायिक सफर और पारिवारिक पृष्ठभूमि:
24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई ने अमरावती विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता, आर.एस. गवई, एक प्रसिद्ध अंबेडकरवादी नेता और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक थे। आर.एस. गवई ने 2006 से 2011 तक बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया।
जस्टिस बी.आर. गवई ने 1985 में वकालत शुरू की और बॉम्बे हाईकोर्ट और नागपुर बेंच में अपनी सेवाएं दीं। 2005 में, वे बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने और 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए। सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वे लगभग 700 बेंचों का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने लगभग 300 फैसले लिखे हैं, जिनमें संविधान पीठ के महत्वपूर्ण फैसले भी शामिल हैं।
महत्वपूर्ण फैसले और टिप्पणियाँ:
जस्टिस गवई ने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले दिए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
न्यूज़क्लिक मामला: उन्होंने न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को यूएपीए मामले में जमानत दी।
मनीष सिसोदिया मामला: दिल्ली शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए उन्होंने गिरफ्तारी के लिए कई मानक तय किए।
बुलडोजर न्याय: उन्होंने “बुलडोजर न्याय” को पूरी तरह से गलत बताया और कानून के प्रावधानों का पालन किए बिना लोगों के घरों को गिराने की आलोचना की।
एससी/एसटी आरक्षण: उन्होंने एससी/एसटी आरक्षण के भीतर कोटा बनाने का मार्ग प्रशस्त किया और एससी/एसटी समुदाय में क्रीमी लेयर बनाने की वकालत की।
इलेक्टोरल बॉन्ड: उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड को सूचना के अधिकार कानून का उल्लंघन मानते हुए असंवैधानिक ठहराया।
अनुच्छेद 370: उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया।
नोटबंदी: उन्होंने नोटबंदी के फैसले को संवैधानिक रूप से सही माना।
आगामी मामले और टिप्पणियाँ:
जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट में चल रहे वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करेंगे। इसके अलावा, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव और दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा से जुड़े विवाद भी उनके सामने हैं।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद, जस्टिस गवई ने स्पष्ट किया कि संविधान सर्वोच्च है, न कि संसद या न्यायपालिका। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है और वे सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद स्वीकार नहीं करेंगे।
कार्यकाल:
जस्टिस गवई का कार्यकाल 24 नवंबर, 2024 तक रहेगा, जो लगभग छह महीने का है। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट के CJI बनेंगे।