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आतंकी हमले के बाद भारत का पाकिस्तान पर कड़ा कूटनीति प्रहार: दूतावास बंद, 1960 का सिंधु जल समझौता निलंबित, अटारी बॉर्डर बंद

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले, जिसमें दो विदेशी नागरिकों समेत 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, के बाद भारत ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के खिलाफ कड़े और निर्णायक कदम उठाए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पांच बड़े फैसलों की घोषणा कर दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और गहरा कर दिया।
भारत सरकार ने तत्काल प्रभाव से नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। 1 मई के बाद से पाकिस्तानी उच्चायोग में अधिकारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 करने का आदेश दिया गया है इसके साथ ही दूतावास में मौजूद सभी सैनिक सलाहकार के पद को निरस्त करते हुए उन्हें बाहर जाने का निर्देश दिया गया है उच्चायोग यह कूटनीतिक स्तर पर एक बड़ा फैसला है.
भारत ने 1960 में हस्ताक्षरित महत्वपूर्ण सिंधु जल समझौते को भी निलंबित कर दिया है। इस समझौते के तहत दोनों देश छह नदियों के जल संसाधनों को साझा करते थे, और इस पर रोक लगाने का फैसला जल बंटवारे को लेकर गंभीर संकट पैदा कर सकता है।
सरकार ने एक और कठोर कदम उठाते हुए सार्क वीजा स्कीम के तहत भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानी नागरिकों को अगले 48 घंटों के भीतर देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है। इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित अटारी-बाघा सीमा को भी तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया है, जिससे दोनों देशों के बीच लोगों और व्यापार की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है। पांचवें और अंतिम बड़े फैसले के तौर पर, भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने राजनयिकों को भी वापस बुलाने का निर्णय लिया है, जिससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध औपचारिक रूप से समाप्त हो गए हैं।
इन महत्वपूर्ण फैसलों से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल थे। ढाई घंटे तक चली इस गहन बैठक में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की विस्तृत जानकारी साझा की गई और पाकिस्तान की ओर से लगातार मिल रहे आतंकवाद के समर्थन पर कड़ी कार्रवाई की रणनीति पर सहमति बनी।

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