संपादकीय : कब तक सहेगा हिंदू ? कश्मीर से लेकर पश्चिम बंगाल तक धार्मिक पहचान के आधार पर क्यों हिंदू बन रहे निशाना? पहलगाम मे पर्यटकों की हत्या से आक्रोश…

अमित श्रीवास्तव
22 अप्रैल, 2025 को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए। मीडिया रिपोर्टों में यह भी बताया गया है कि आतंकवादियों ने पीड़ितों की धार्मिक पहचान पूछी थी और हिंदु होने की पुष्टि होने के बाद गोली मार दी गई .
आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, चश्मदीदों ने बताया कि आतंकवादियों ने हिंदुओं को निशाना बनाते हुए गोलीबारी की और उन्हें *** पढ़ने के लिए भी कहा। इस घटना के बाद एक महिला ने अपनी आपबीती सुनाई जिसमें उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने उनके पति की धार्मिक पहचान जानने के बाद उन्हें गोली मार दी।
हिंदू पर्यटको की निर्मम हत्या ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। निर्दोष पर्यटकों को धर्म के आधार पर निशाना बनाकर किए गए इस जघन्य कृत्य ने पूरे देश में शोक और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। इस घटना ने देश में उन स्थानों जहां हिंदू अल्पसंख्यक है में रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।
कश्मीर से लेकर पश्चिम बंगाल तक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा चिंताजनक
भारत, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विविधता में एकता का प्रतीक माना जाता है, आज कई सामाजिक व सांप्रदायिक चुनौतियों से गुजर रहा है। इनमें सबसे गंभीर चिंता का विषय है—हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा, जो कि कश्मीर से लेकर पश्चिम बंगाल तक फैली हुई दिखाई देती है। यह केवल तात्कालिक तौर पर होने वाली
घटनाएं नहीं हैं, बल्कि कुछ क्षेत्रों में यह एक पैटर्न की तरह उभर रही है, जो सामाजिक संतुलन को खतरे में डाल रही है।
कश्मीर: पलायन का दर्द और सुरक्षा की चिंता
कश्मीर घाटी में 1990 के दशक की शुरुआत में हजारों कश्मीरी हिंदुओं (जिन्हें कश्मीरी पंडित कहा जाता है) को अपने ही घरों से भागने पर मजबूर कर दिया गया। आतंकवाद और चरमपंथ के कारण उन्हें अपनी भूमि, संस्कृति और पहचान से बेदखल कर दिया गया। आज, दशकों बाद भी उनका पुनर्वास अधूरा है। हाल के वर्षों में कुछ पंडितों की हत्याएं फिर कुछ छुटपुट घटनाएं फिर 22 अप्रैल को धार्मिक पहचान के आधार पर 26 हिन्दू पर्यटकों की जघन्य हत्या से घाटी में असुरक्षा का माहौल पैदा कर रही हैं।
पश्चिम बंगाल: सियासत, हिंसा और सांप्रदायिक तनाव
इस दुखद घटना के साथ ही, पश्चिम बंगाल से भी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की खबरें लगातार आ रही हैं, जिससे देश के इस समुदाय में गहरा असंतोष और भय व्याप्त है। चुनावी नतीजों के बाद कथित तौर पर शुरू हुई हिंसा में कई हिंदू परिवारों को निशाना बनाया गया है, उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है और उन्हें आतंकित किया गया है।
पश्चिम बंगाल में चुनावों के बाद और वकफ कानून के विरोध में भड़की हिंसा ने कई हिंदू परिवारों को प्रभावित कर पलायन के लिए मजबूर किया गया . कई रिपोर्टों के अनुसार, हिंसा में हिंदू नागरिकों को निशाना बनाया गया। धार्मिक पहचान के आधार पर हिंसा की घटनाएं लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती हैं।
निष्कर्ष
भारत की आत्मा उसकी बहुलता और सहिष्णुता में है। अगर किसी भी वर्ग को लगातार निशाना बनाया जाता है—चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो या कोई और धर्म यह देश के लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। कश्मीर से लेकर पश्चिम बंगाल तक हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा एक ऐसी सच्चाई है, जिससे आंखें चुराना अब मुमकिन नहीं है। इस पर खुलकर बात करना, समाधान तलाशना और न्याय सुनिश्चित करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
यह समय है कि सरकारें और प्रशासन गहरी नींद से जागें और इन गंभीर और लगातार हो रही घटनाओं पर तत्काल ध्यान दें। यह सुनिश्चित करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए कि हिंदू समुदाय भी देश मे सुरक्षित महसूस करे और उनके मौलिक अधिकारों का पूर्ण सम्मान किया जाए। दोषियों को बिना किसी देरी के न्याय के कटघरे में लाना और भविष्य में ऐसी भयावह घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कठोर कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। अब और इंतजार नहीं किया जा सकता, हिंदुओं की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा हर कीमत पर की जानी चाहिए।





