आज 2 जनवरी से जन्म लेने वाले सभी बच्चे ‘जेन बीटा’ पीढ़ी कहलाएंगे, जाने इसका मतलब क्या है?

आज से जन्म लेने वाले सभी बच्चों को ‘जेन बीटा’ पीढ़ी का हिस्सा माना जाएगा। 1901 से लेकर अब तक जो पीढ़ियां आईं, वे कौन-कौन सी हैं ?
आधुनिक जेन अल्फा पीढ़ी और पिछली पीढ़ियों में काफी अंतर है। अब, उनसे भी अलग नई ‘जेन बीटा’ पीढ़ी आई है।
2025 की 1 जनवरी की आधी रात के बाद जन्म लेने वाले सभी बच्चों को ‘जेन बीटा’ पीढ़ी कहा जाएगा। 2039 के 31 दिसंबर तक जन्मे बच्चे इस पीढ़ी में शामिल होंगे।
आधुनिक जेन अल्फा पीढ़ी और पिछली पीढ़ियों में काफी अंतर है। अब, उनसे भी अलग नई ‘जेन बीटा’ पीढ़ी आई है।
2025 की 1 जनवरी की आधी रात के बाद जन्म लेने वाले सभी बच्चों को ‘जेन बीटा’ पीढ़ी कहा जाएगा। 2039 के 31 दिसंबर तक जन्मे बच्चे इस पीढ़ी में शामिल होंगे।
एक ही समय में जन्मे लोगों को उनके सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक अनुभवों के आधार पर एक पीढ़ी के नाम से जाना जाता है। पीढ़ियों के नामकरण की यह परंपरा 1901 से चल रही है। इस प्रकार, ‘जेन बीटा’ सातवीं पीढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस पीढ़ी में तकनीकी एकीकरण और विविधता का विशेष योगदान होगा।
इससे पहले की पीढ़ी, यानी 2010 से 2024 तक जन्मे बच्चे ‘जेन अल्फा’ कहलाते हैं। यह पीढ़ी डिजिटल और तकनीकी दुनिया से जुड़कर बड़ी हो रही है। करीब 200 करोड़ लोगों के साथ यह सबसे बड़ी पीढ़ी है।
इसी तरह, 1997 से 2009 के बीच जन्मे लोगों को ‘जेन जेड’ कहा जाता है। इन्हें मजाक में ‘कोरोना बैच’ भी कहा जाता है। शोध कहता है कि यह पीढ़ी आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना करने में कुशल है।
1981 से 1996 के बीच जन्मे लोगों को ‘मिलेनियल्स’ कहा जाता है। सामाजिक और लैंगिक बाधाओं को तोड़ने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
1965 से 1980 के बीच जन्मे लोगों को ‘जेन एक्स’ कहा जाता है। इस पीढ़ी के लोग अक्सर अकेले घर में बड़े हुए क्योंकि उनके माता-पिता दोनों काम पर जाते थे। बच्चों की शिक्षा की अनिवार्यता इसी समय समझी गई।
1946 से 1964 के बीच जन्मे लोग ‘बेबी बूमर्स’ कहलाते हैं। इस पीढ़ी के लोग पहले की पीढ़ियों की तुलना में लंबा जीवन जीते हैं।
1928 से 1945 के बीच जन्मे लोग ‘शांत पीढ़ी’ कहलाते हैं। मंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पले-बढ़े इन लोगों का जीवन पारंपरिक और शांतिपूर्ण रहा।
1901 से 1927 के बीच जन्मे लोगों को ‘ग्रेटेस्ट जनरेशन’ कहा जाता है। इस पीढ़ी के अधिकांश लोग अब 100 वर्ष पार कर चुके हैं।