सोंधी माटी गांव की, पोखर बरगद छांव की – जे एन मिश्र, हिंदी साहित्य परिषद द्वारा हुआ काव्य गोष्ठी का आयोजन
अम्बिकापुर – राजभाषा सप्ताह और गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य पर हिंदी साहित्य परिषद सरगुजा द्वारा स्थानीय पंचानन होटल में प्रख्यात साहित्यकार जे एन मिश्र के आतिथ्य बीडी लाल,शायरे शहर विकास यादव के विशिष्ट आतिथ्य व हिंदी साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष विनोद हर्ष की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम का प्रारंभ पुनम दुबे द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ ! माधुरी जायसवाल की कविता हिन्दी मेरी शान है-हिंदी मेरी पहचान है ज्योति अम्बस्ट ने कविता से सखी हिंदी मैं साथ हूं तेरा तूं ही मेरा गीत है,अंचल सिन्हा की हिन्दी पर अभिमान और परिषद के अध्यक्ष विनोद हर्ष की रचना अमर रहें हिंदी वैभव तेरा-गूंजे विश्व की हर वाणी-वाणी में जैसी सशक्त रचनाओं से सबको भाव विभोर कर दिया ! मुकुंद लाल साहू ने अपने दोहे में हिंदी हिन्दूस्तान की भाषा बड़ी महान-जन जन को जोड़कर करती जनकल्याण, अंजनी सिन्हा ने गीत त्रास हो न ह्यस हो-हे गणेश देवता राष्ट्र का विकास हो आशा पाण्डेय ने मंगल के देवता गणेश गीता दुबे ने ए सावन की झड़ियां-खुश्बु की लड़ियां मीना वर्माकी मोर सोन चिरैया कहां ते उड़ा गे रे,माधुरी दुबे की झुलवा थे झूल-कदम तेरे फूल रंजीत सारथी का सरगुजिहा गीत मांदर ला बजाबे गीता द्विवेदी की आती जाती हवाओं-थोड़ी देर ठहर जाती सुधीर पाठक की हरियर लुग्गा संगी राजनारायण द्विवेदी की मुझे भी कुछ कहना है, कृष्ण कांत पाठक का गीत दिल की बात जुबां पर लाना कितना है मुश्किल, राजेंद्र विश्वकर्मा का गीत मेहनत मजूरी कयेर लो जैसी रचनाओं ने सबका दिल जीत लिया,पुनम दुबे के गीत फूल की शूल बनकर, अम्बरीष कश्यप की ग़ज़ल भूख अपनी मिटाने को कोयले की तरह जलना पड़ता है, अजय शुक्ला ने कुछ कहना है पर कहूं कैसे,प्रकाश कश्यप की ग़ज़ल टूट न जाए दर्पण कहीं,अजय श्रीवास्तव की रचना उनके घर में करो रोशनी,बीडी लाल की रचना तू उपवन द्वार खोल,शायरे शहर यादव विकास की ग़ज़ल दिल है वहीं जो दुखता है प्रस्तुत की ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात साहित्यकार जे एन मिश्र ने प्रसिद्ध रचना सोंधी माटी गांव की-पोखर बरगद छांव की को श्रोताओं ने खूब सराहा । गोष्ठी का काव्यमय संचालन परिषद के सचिव प्रकाश कश्यप व आभार प्रदर्शन गोष्ठी की आयोजक गीता दुबे ने किया ।