जशपुर

कलेक्टर के आदेश की अपेक्स बैंक उड़ा रहा धज्जियां कोरोना रिपोर्ट के नाम पर गेट के बाहर घंटों खड़े रखा जा रहा किसानों को, न पानी और न ही टेंट की व्यवस्था, धूप और प्यास से किसानों पर मंडराया बीमार पड़ने का खतरा शाखा प्रबंधक एसी कमरे में बैठकर आराम फरमा रहे किसान धूप में तपते रहे सांसद प्रतिनिधि अंकित बंसल ने बैंक प्रबंधन के रवैए से जताई नाराजगी

मुकेश अग्रवाल , पत्थलगांव । कुप्रबंधन के कारण अपेक्स बैंक के खिलाफ किसानों का गुस्सा फूट पड़ा है। किसानों ने इसके लिए बैंक के शाखा प्रबंधक को जिम्मेदार ठहराया है। किसानों ने बैंक में व्यवस्था बनाए जाने की मांग प्रशासन से की है।
उल्लेखनीय है कि जिला कलेक्टर महादेव कावरे द्वारा सोमवार से किसानों के बैंकों से लेन-देन की छूट दी है। कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के मुताबिक लेन-देन के लिए किसानों को 72 घंटे के भीतर की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी इसके बाद वो बैंक में आकर लेन-देन कर सकते हैं। इस नियम को तो बैंक द्वारा लागू कर दिया गया है और किसानों को बैंक में गेट के बाहर ही उनकी रिपोर्ट चेक करने के नाम पर खड़ा कर दिया गया है। परंतु गेट के बाहर किसानों को घंटों तक धूप में खड़े रहना पड़ रहा है। गौरतलब है कि कृषि की तैयारियों के लिए लगभग प्रत्येक किसान बैंकों से लेन-देन की छूट मिलने की बाट जोह रहा था। इसलिए अनुमति मिलते ही बड़ी संख्या में किसान यहां पहुंचे थे। परंतु बैंक द्वारा गेट के बाहर कोई टेंट जैसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है जिससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उमस भरी तेज धूप में खड़े रहना किसानों के लिए किसी सजा से कम नहीं है। और तो और बैंक द्वारा किसानों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं की गई है जिससे किसान धूप और प्यास की दोहरी मार से बेहाल नजर आ रहे हैं। किसानों ने इसे लेकर गहरी नाराजगी जताई है। किसानों ने बैंक में लेन-देन विलंब से प्रारंभ होने को लेकर भी नाराजगी देखने को मिल रही है। किसानों ने बताया कि किसान सुबह से लाईन बनाकर बैंक के सामने खड़े हैं परंतु बैंक के कर्मचारियेां द्वारा शाखा प्रबंधक के आने के बाद ही लेन-देन शुरू करने की बात कहते रहे। दूसरी ओर बैंक प्रबंधक के 10.30 बजे तक भी बैंक नहीं पहुंच पाए थे जिससे कई किसानों को घंटों परेशानियों का सामना करना पड़ा।
सांसद प्रतिनिधि अंकित बंसल कहा कि कांग्रेस शासन में किसानों को हर तरफ परेशानियों का सामना पड़ रहा है एक और जहां किसान अपनी फसल बेचकर अपने खुद के पैसे के लिए ही बैंक प्रबंधन के सामने घुटने टेकने को मजबूर हैं वही कृषि के समय पैसे के अभाव में दोहरी मार झेलने को मजबूर हो रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button