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अब स्वास्थ्य कर्मियों को नुकसान पहुंचाने पर होगी पांच लाख जुर्माना और सात वर्ष की कैद..लोकसभा में महामारी संशोधन विधेयक पास

लोकसभा सदन में सोमवार देर रात तक कार्यवाही के बाद महामारी संशोधन विधेयक को मंजूरी मिल गई है।इसके बाद अब किसी भी महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों और उससे जुड़े कर्मचारियों को सरकार की तरफ अधिकार दिए गए हैं।  वहीं अगर कोई स्वास्थ्य योद्धाओं को नुकसान पहुंचाता है तो उसे पांच लाख तक  जुर्माना और सात साल की सजा हो सकती है।
लोकसभा में सोमवार को महामारी संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसमें महामारियों से जूझने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को संरक्षण प्रदान करने के साथ ही सुरक्षा प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है। लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ.हर्ष वर्द्धन ने बताया कि कि केन्द्र  सरकार  पिछले 3-4 वर्षों से महामारी जैसे विषयों से निपटने के बारे में समग्र एवं समावेशी प्रयास कर रही है।  उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार इस दिशा में ‘राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम’ बनाने पर काम कर रही है।  इसके लिए विधि विभाग ने राज्यों के विचार जानने के लिए पत्र लिखा है।  

उन्होंने बताया कि पहले दो सालों में केन्द्र सरकार को महज चार राज्यों मध्यप्रदेश, त्रिपुरा, गोवा और हिमाचल प्रदेश से सुझाव मिले। वहीं केन्द्र सरकार के पास अभी  तक 14 राज्यों से सुझाव आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार पिछले 9 महीने से राज्यों के साथ मिलकर कोविड के खिलाफ अभियान चला रही है। वहीं कई संसोधनों को अस्वीकार करते हुए इस  अधिनियम को सोमवार को लोकसभा में मंजूरी दे दी गई है। वहीं उच्च सदन ने कुछ दिन पहले महामारी (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी थी। जानकारी के मुताबिक इस विधेयक में बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार की शक्तियों में विस्तार करने का भी प्रावधान है।

 इस अधिनियम के तहत स्वास्थ्य कर्मियों के जीवन को नुकसान, चोट, क्षति या खतरा पहुंचाने वाले लोगों को सजा का  प्रावधान है। अगर कोई कार्यों में बाधा पैदा करता  है और स्वास्थ्य सेवा कर्मी की संपत्ति या दस्तावेजों को नुकसान या क्षति पहुंचाता है तो इसके लिए जुर्माने और दंड का प्रावधान किया गया है। इसके तहत अधिकतम पांच लाख रूपये तक जुर्माना और अधिकतम सात साल तक सजा का प्रावधान इस अधिनियम में किया गया है। इसी तरह का कानून पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने बनाया गया था और कोरोना संकटकाल में कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य कर्मचारियों को कोरोना योद्धा बताया गया था।
 

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