अम्बिकापुर वैश्विक कोरोना महामारी से लडना हैं तो इसका एक ही मंत्र हैं घरो में रहे समाजिक दुरी बनाकर रखे। कम से कम लोगो के संपर्क में आये। क्योंकि अब तक इस जानलेवा वायरस के वेक्सिन की खोज नही हो सकी हैं।
लेकिन छत्तीसगढ के कुछ ऐसे मंत्री भी हैं जो समाजिक दुरी के इस मूलमंत्र को भूल कर पूरे काफिले के साथ सिस्टम की कार्यप्रणाली को देखने लिए मौके पर पहुच रहें हैं।
हम बात कर रहें हैं। सूबे के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की जो रविवार के दिन काफिले के साथ गंगापुर स्थित कोरनटाइन सेंटर, नवीन प्रीमैट्रिक कन्या छात्रावास, पिछड़ा वर्ग कन्या छात्रावास और वृद्धा आश्रम का जायजा लेने पहुचें। यही नही कोरनटाइन में रखे गये कुछ लोगो से मंत्री अमरजीत भगत ने मुलाकात भी की…
मंत्री जी के मौके का जायजा लेना तो ठीक हैं लेकिन उस समाजिक दुरी का क्या जो इस महामारी से निपटने के लिए अब तक का सबसे बडा हथियार साबित हुआ हैं। मंत्री अमरजीत भगत इस बात को भूल गये कि जायजा लेने से ज्यादा जरूरी समाजिक दुरी बनाये रखना हैं। यही नही मंत्री जी को यह तक ख्याल नही रहा कि जिन्हें 14 दिनों के लिए कोरनटाईन किया गया हैं उन्से मिलना तक नही हैं। यह स्वयं व समाज के लिए घातक साबित होगा।
सूबे के मुख्यमंत्री ने कडा फैसला लेते हुए शनिवार औऱ रविवार को राज्य में कम्पलिट लॉकडाउन यानि पुर्णत; बंदी के फैसला लिया हैं। लेकिन मुख्यमंत्री के कैबिनेट मंत्री ही भुल गये कि रविवार के दिन हालात का जायजा लेना नही बल्कि घर पर ही रहना हैं।
मंत्री अमरजीत भगत ने खुद माना हैं कि समाजिक दुरी औऱ सरकार के द्वारा लिए गये कडे फैसले का नतिजा हैं की छत्तीसगढ में इस महामारी पर काफी हद तक काबू पा लिया गया हैं।
लोगो से सीधा संपर्क औऱ भीड के बीच में मौके का जायजा लेना मंत्री जी को इस कोरोना काल में काफी रास आ रहा हैं। सोमवार को मंत्री अमरजीत भगत कुछ इसी अंदाज में नजर आयें। अपने काफिले के साथ सोसायटी का निरिक्षण करने पहुचें थे। इस दौरान उन्होने लोगो की समस्या को सुना। लेकिन इन सब के बीच मंत्री जी बिना के मास्क से नजर आयें।
जानकारो का कहना हैं कि कोरोना काल का संकट अभी कम नही हुआ हैं। आने वाले दिनों में कोविड—9 समंक्रमण की वजह से औऱ भी भयावह स्थिती हो सकती हैं। इसलिए समाज के प्रत्येंक व्यक्ति का कर्तव्य हैं कि सतर्क रहें मास्क पहननें की आदत डाल लें औऱ समाजिक दुरी बना कर रखें। लेकिन जिनके कंधो पर समाज की जिम्मेदारी हैं। वह जिम्मेदार व्यक्ति ही ऐसी लापरवाही बरतेगें तो समाज पर इसका क्या असर पडेगा।