’जान बचाओ, देर न हो जाए’: नक्सली कमांडर का खुला पत्र, 20 अक्टूबर को हथियार के साथ सरेंडर के लिए आने की साथी नक्सलियों से अपील…

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ आ गया है। महाराष्ट्र और बस्तर के बाद अब उदंती एरिया कमेटी के कमांडर सुनील ने अपने साथी कामरेडों के नाम एक खुला और भावनात्मक पत्र जारी कर सशस्त्र संघर्ष को तत्काल विराम देने की अपील की है। पत्र में नक्सली नेता ने संगठन की हताशा को स्वीकार करते हुए कहा है कि आज की परिस्थितियों में फोर्स का दबाव इतना अधिक बढ़ गया है कि हथियारबंद आंदोलन को चलाना अब संभव नहीं है।
इस पत्र में सुनील ने सभी कार्यरत यूनिटों (गोबरा, सीनापाली, एसडीके, सीतानदी) के साथियों से अपील की है कि वे हथियार लेकर आएं और हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में लौट आएं।
खुले पत्र में सुनील ने स्वीकार किया है कि आज की परिस्थितियों में सशस्त्र आंदोलन चलाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि परिस्थितियाँ अब अनुकूल नहीं हैं और फोर्स का दबाव बहुत बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कमेटी (CC) सही समय पर क्रांति को आगे बढ़ाने का निर्णय नहीं ले सकी और अपनी गलती मानी है।
सुनील ने अपने साथी कामरेडों को बताया कि यह फैसला अचानक नहीं लिया गया है। उन्होंने 16 अक्टूबर 2025 को महाराष्ट्र में सोनू दादा द्वारा 61 कामरेडों के साथ सशस्त्र आंदोलन को विराम देने और 17 अक्टूबर 2025 को बस्तर में रूपेश दादा उर्फ सतीश दादा द्वारा 210 साथियों के साथ सरकार के सामने हथियार सौंपने का हवाला दिया। सुनील ने घोषणा की है कि उनकी यूनिट सोनू दादा और रूपेश दादा द्वारा लिए गए इस फैसले का पूरी तरह समर्थन करती है।
पत्र में कहा गया है कि अब सभी कामरेड्स हथियारबंद संघर्ष को विराम देकर जनांदोलनों के साथ रहकर जनता की समस्याओं को हल करने का प्रयास करेंगे। सुनील ने भावनात्मक अपील करते हुए कहा, “अभी हमारे पास मौका है। पहले हमें बचना है, उसके बाद संघर्ष आगे बढ़ा सकते हैं।” उन्होंने सभी यूनिटों से सोचकर सही फैसला लेने की अपील की है, ताकि कहीं देर न हो जाए, क्योंकि वे पहले भी कई महत्वपूर्ण कामरेडों को खो चुके हैं।
उदंती टीम गरियाबंद में सशस्त्र आंदोलन को विराम देने जा रही है और उसने सभी यूनिटों से पूरे दलम सहित और हथियार लेकर 20 तारीख को 12:30 बजे कोडित सेट 146-690, 149-980 पर मिलने को कहा है। सुनील ने जनता से भी अपील की है कि वे इस पत्र को कामरेडों तक जल्द से जल्द पहुंचाने में मदद करें।




