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भगवान विष्णु पर टिप्पणी से ‘आहत’ वकील पर चलेगा आपराधिक अवमानना का केस: CJI गवई पर जूता फेंकने की घटना पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने इस कार्रवाई को मंजूरी दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश किशोर ने यह कृत्य खजुराहो स्थित भगवान विष्णु की प्रतिमा की पुनर्स्थापना से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान CJI गवई की कथित टिप्पणी से आहत होकर किया था।

पिछले महीने CJI गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका को ‘प्रचार हित याचिका’ बताते हुए खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान कथित तौर पर CJI ने टिप्पणी की थी कि, “अगर आप भगवान विष्णु के सच्चे भक्त हैं, तो आप ध्यान करें और देवता से ही कुछ करने को क्यों नहीं कहते?”

चीफ जस्टिस की यह टिप्पणी को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रचारित हुआ था और कई बहुसंख्यक हिंदू संगठनों और व्यक्तियों ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया था। जूता फेंकते समय भी वकील राकेश किशोर को “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे” चिल्लाते हुए सुना गया था, जिससे साफ होता है कि उनकी कार्रवाई का आधार धार्मिक टिप्पणी से उपजी नाराज़गी थी।

हालांकि, चीफ जस्टिस गवई ने इस घटना पर टिप्पणी की थी कि वह ऐसी चीजों से प्रभावित नहीं होते हैं और उन्होंने रजिस्ट्री को आरोपी वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया था।
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत की पीठ के समक्ष इस मामले को गंभीरता से उठाया। उन्होंने तर्क दिया कि वकील राकेश किशोर अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं दिखा रहे हैं और सोशल मीडिया पर इसका महिमामंडन किया जा रहा है, जिससे न्यायपालिका की संस्थागत अखंडता को खतरा है।

सॉलिसिटर जनरल की मांग पर, अटॉर्नी जनरल ने आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति दे दी है। अब दिवाली की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा।

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