छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी ‘गलतफहमी’ का नतीजा, राज्य सरकार नहीं करेगी जमानत का विरोध …?

रायपुर: छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में केरल की दो कैथोलिक ननों की हाल ही में हुई गिरफ्तारी से केरल और छत्तीसगढ़ में पार्टी की राज्य इकाइयों के बीच मतभेद पैदा हो गया है, जिसके बाद वरिष्ठ नेतृत्व को हस्तक्षेप कर समाधान निकालने के लिए प्रयास करने पड़े। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा केरल इकाई के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने भारतीय कैथोलिक बिशप सम्मेलन (CBCI) के अध्यक्ष और त्रिचूर के आर्कबिशप एंड्रयूज थजथ से मुलाकात के बाद कहा कि छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार की गईं दो ननों को जल्द ही जमानत मिल जाएगी। उन्होंने इस गिरफ्तारी को ‘गलतफहमी का नतीजा’ बताया।
चंद्रशेखर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है और राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि ननों की जमानत याचिका का विरोध न किया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।
क्या थी ‘गलतफहमी’?
मंत्री के अनुसार, छत्तीसगढ़ में एक कानून है जिसके तहत नौकरी के लिए एक जिले से दूसरे जिले में जाने वाली युवतियों को एक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है। ननों ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया, जिससे पुलिस को गलतफहमी हुई और उनकी गिरफ्तारी हुई।
यह घटना 25 जुलाई की है, जब केरल की नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर GRP ने सुखमन मंडावी नाम की महिला के साथ यात्रा करते हुए गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी एक स्थानीय बजरंग दल पदाधिकारी के आरोप के बाद हुई थी, जिसमें कहा गया था कि नन तीन युवतियों का जबरन धर्मांतरण और तस्करी कर रही थीं।
आर्कबिशप एंड्रयूज थजथ ने ननों की जल्द रिहाई की मांग की और ईसाई समुदाय की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि इस घटना से पूरा ईसाई समुदाय आहत है।




