आबकारी आरक्षक परीक्षा: ड्रेस कोड विवाद के बाद परीक्षा से वंचित अभ्यर्थियों का हंगामा, कलेक्टर निवास का घेराव एवं प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित आबकारी आरक्षक परीक्षा में शामिल होने से वंचित रहे अभ्यर्थियों का गुस्सा आज खैरागढ़ की सड़कों पर फूट पड़ा. ड्रेस कोड संबंधी नियमों का हवाला देते हुए परीक्षा केंद्र में प्रवेश न दिए जाने से नाराज दर्जनों अभ्यर्थी सीधे कलेक्टर निवास पहुंच गए और जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी बहस और धक्का-मुक्की भी हुई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई.
अभ्यर्थियों का आरोप: समय पर पहुंचने के बावजूद रोका गया
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का आरोप है कि वे परीक्षा केंद्र पर निर्धारित समय से पहले पहुंच गए थे. हालांकि, उन्हें ड्रेस कोड का पालन न करने का हवाला देते हुए प्रवेश से रोक दिया गया. अभ्यर्थियों के अनुसार, उन्होंने तुरंत पास में ही कपड़े बदलकर नियमों का पालन किया और वापस लौटे, लेकिन तब तक परीक्षा केंद्र के गेट बंद हो चुके थे और उन्हें अंदर जाने नहीं दिया गया. एक अभ्यर्थी ने मीडिया से बात करते हुए सवाल उठाया, “हमने नियमों का पालन किया. जब हमें कपड़ों को लेकर रोका गया, तो तत्काल बदलकर लौटे. लेकिन उसके बाद भी हमें बाहर ही रोक दिया गया. क्या यह हमारी गलती है या परीक्षा प्रबंधन की?”
कलेक्टर का बयान: नियमों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया था
वहीं, इस पूरे घटनाक्रम पर नोडल अधिकारी एवं डिप्टी कलेक्टर रेणुका रात्रे ने बताया कि व्यापम द्वारा परीक्षा निर्देशों में कुछ बदलाव किए गए थे, जिनका व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया था. उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी प्रवेश पत्रों में भी हल्के रंग के कपड़े पहनने के निर्देश स्पष्ट रूप से छापे गए थे. कलेक्टर रात्रे ने कहा, “अगर उसके बाद भी अभ्यर्थी निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो इसके जिम्मेदार हम नहीं हैं. हमने दो घंटे पहले सभी को आने को कहा था.”
कलेक्टर निवास पर प्रदर्शन, पुलिस से नोकझोंक
परीक्षा से वंचित हुए अभ्यर्थियों ने जब प्रशासन से संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो वे न्याय की मांग करते हुए सीधे कलेक्टर निवास पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी. पुलिस ने उन्हें “शांति क्षेत्र” का हवाला देते हुए हटाने की कोशिश की, जहां विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. इस पर अभ्यर्थियों ने पलटवार करते हुए कहा कि जब उनका भविष्य दांव पर हो, तो शांत रहना अन्याय से समझौता होगा. इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक हुई.
प्रदर्शनकारी अब भी अपने रुख पर अड़े हुए हैं. उनका साफ कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, चाहे दोबारा परीक्षा करानी पड़े या दोषियों पर कार्रवाई हो, वे शांत नहीं बैठेंगे. यह घटना परीक्षा प्रबंधन और अभ्यर्थियों के बीच संचार और नियमों के अनुपालन को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म देती है.





