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अम्बिकापुर /प्रतापपुर सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में हाथियों हाथियों के संघर्ष के बीच गर्भवती हथनी की मौत की खबर पूरी तरह से गलत बताई जा रही है पोस्टमार्टम होने के बाद मौत की मुख्य वजह में बताया गया कि हथिनी गर्भवती थी ऐसे में हाथियों का दल अपने साथियों का विशेष रूप से ध्यान रखते हैं ।चुकी हथिनी गर्भवती थी और किसी भी वक्त उसका प्रसव हो सकता था वहीं दूसरी तरफ हथिनी काफी वृद्ध हो चुकी थी ऐसे में वह प्रसव पीड़ा को सहन नहीं कर सकी । पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर से जब हिंद शिखर ने बात की तो उन्होंने कहा की
“हाथियों का स्वभाव होता है कि वे अपने दल में शामिल गर्भवती हाथिनी एवं बच्चों का ध्यान विशेष तौर पर रखते हैं ,बिल्कुल मनुष्यों की तरह। ऐसे में यह संभव नहीं है कि हथिनी की मृत्यु आपसी संघर्ष में हुई हो। यह पूछे जाने पर कि ग्रामीणों ने रात मे हाथियों के चिंघाड़ने सकी आवाज सुनी इस पर उनका कहना था कि हाथी दर्द से चिंघााड़ रही होगी। उन्होंने बताया की हथिनी के पेट में मृत पूर्ण विकसित मादा शिशु था जिसका जन्म कभी भी हो सकता था।”
इसके साथ ही बताया गया कि हाथी के पेट में सिस्ट पाया गया इन्हीं कारणों से हथिनी की मौत होना बताया जा रहा है रही बात 3 घंटे की तो हाथी ने प्रसव पीड़ा होने की वजह से दर्द से चीघाड़ रही थी