20 साल पहले जन्मा था बेटा, मगर अस्पताल में थमा दी गई बेटी, अब DNA टेस्ट से सामने आएगी सच्चाई , महिला आयोग की जनसुनवाई के दौरान आई अनोखी शिकायत. 20 साल पहले बच्चा बदलने की शिकायत लेकर पहुंचे मां-बाप.
मुकेश अग्रवाल , हिंद शिखर न्यूज़ पत्थलगांव ।
अस्पतालों में बच्चा बदलने की शिकायत से जुड़ी कई खबरें आपने सुनी होंगी, लेकिन छत्तीसगढ़ के जशपुर में बच्चा बदलने की शिकायत अनोखी है. जी हां, राज्य महिला आयोग (State Women Commission) के सामने ऐसी ही एक शिकायत आई है. गौर करने वाली बात यह है कि मामला 20 साल पुराना है. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने बीते दिनों जशपुर जिले में महिलाओं की समस्याओं को लेकर उनकी शिकायतें सुनने के लिए जनसुनवाई (Jan Sunwai) का आयोजन किया था. इस जनसुनवाई में एक शिकायत ऐसी भी आई, जिसमें पीड़ित पक्ष ने 20 साल पहले अस्पताल में डिलीवरी के बाद बच्चा बदले जाने (Baby Change Complaint) और अब उस बच्चे के लक्षणों को देखकर उस पर अपना दावा किया है.
जशपुर में महिला आयोग की जनसुनवाई में एक विशेष केस की अलग से सुनवाई की गई. दरअसल, आयोग के सामने एक पीड़ित पक्ष पहुंचा, जिसने एक अस्पताल में 20 साल पहले बच्चा बदलने की शिकायत की थी. पीड़ित पक्ष का कहना था कि 20 साल पहले हुई डिलीवरी में उनका पुत्र पैदा हुआ था, लेकिन अस्पताल में उन्हें मरी हुई बेटी दे दी गई. पीड़ित पक्ष को बाद में पता चला कि एक गांव में उनका बच्चा कुलदीप नाम से पल रहा है. वह बेटा अब 20 साल का हो गया है. पीड़ित पक्ष का दावा है कि उनके पुत्र का व्यवहार और शक्ल-सूरत माता-पिता के समान है.बच्चा बदलने की इस शिकायत के बाद महिला आयोग ने पूरे मामले की गहनता से जांच के आदेश दिए हैं. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने मामले में डीएनए टेस्ट के आदेश दिए हैं. जनसुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने जशपुर जिले की महिलाओं संबंधित कई प्रकरणों की सुनवाई की. उन्होंने सुनवाई के लिए उपस्थित सभी पक्षकारों से चर्चा कर संबंधित प्रकरणों के स्थिति के संबंध में पूछताछ भी की. बताया गया कि आयोग ने 19 प्रकरणों की सुनवाई की. महिला आयोग की अध्यक्ष ने जनसुनवाई में आए सभी मामलों के जल्द निराकरण की बात कही है.।
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक आज जशपुर जिले के महिलाओं के उत्पीडन से संबंधित प्रकरणों की जन सुनवाई की। उन्होंने सुनवाई के लिए उपस्थित सभी पक्षकारों से चर्चा कर संबंधित प्रकरणों के स्थिति के संबंध में पूछताछ की। सुनवाई के दौरान सोशल डिस्टेंस एवं फिजिकल डिस्टेंस का पालन करते हुए कार्यवाही की गई। मंत्रणा सभाकक्ष में कुल 19 प्रकरणों की सुनवाई की गई जिसमें से 5 प्रकरण संम्पत्ति विवाद, 2 प्रकरण दहेज प्रताड़ना, 6 प्रकरण मानसिक प्रताड़ना से संबंधित था। अन्य 2 प्रकरण, कार्यस्थल पर प्रताड़ना के एक प्रकरण, मारपीट एवं घरेलू हिंसा के प्रकरण, विविध के 01 प्रकरण, शारिरीक शोषण के प्रकरण संबंधित था।