अम्बिकापुर

कोरोना काल में शिक्षा का दीप जला रहीं हैं हाई स्कूल असोला की शिक्षिका ‘दीपलता देशमुख’

पवन गुप्ता हिंद शिखर न्यूज़ अंबिकापुर- कोरोना महामारी के समय में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित योजना “पढ़ई तुहर दुआर” यह योजना केवल मिडिल स्कूल एवं प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों के लिए लागू किया गया है मिडिल एवं प्राइमरी स्कूल के शिक्षक बच्चों की कक्षाएं चौपाल लगाकर ग्राम पंचायतों में ले रहे हैं।

शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय असोला  की व्याख्याता श्रीमती दीपलता देशमुख ने विश्व में फैले कोरोना महामारी के समय में अपने विद्यालय संकुल के 5 गांव के मोहल्ला पारा में शिक्षा का दीप जलाया है उन्होंने हाई स्कूल के विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं वरिष्ठ नागरिको से संपर्क कर पढ़ाई के प्रति रुझान पैदा किया है।

असोला स्कूल के अंतर्गत आने वाले गांव में सोनपुर, असोला, रनपुर, देवगढ़, रजपुरी खुर्द गांव से बच्चों को आने में परेशानी ना हो इसलिए बच्चों की सुविधा अनुसार उनके पास के ही स्थान का चयन कर उनके मोहल्ला पारा में शिक्षा दे रही हैं।

असोला गांव में ही 4 पारा का चुनाव किया गया है जिसमें मंदिर पारा स्कूल पारा उरांव पारा बांध पारा पंचायत भवन के पास के स्थान का चयन किया गया है इसी प्रकार सभी गांव में मोहल्ले का चयन कर पढ़ाई निरंतर जारी रखा गया है जिससे विद्यार्थी गण लाभान्वित हो रहे हैं गांव के सरपंच वरिष्ठ नागरिक जनों के सहमति प्राप्त करने के उपरांत ही शिक्षा की गतिविधियों को प्रारंभ किया गया है।

इस कोरोना काल में शिक्षिका श्रीमती दीप लता देशमुख शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी “पढ़ई तुहर दुआर” योजना आने के पहले ऑनलाइन कक्षा चलाया जा रहा था जिसमें मात्र 3-4 बच्चे ही पढ़ पाते थे ऐसा इसलिए होता था क्योंकि गांव में एंड्रॉयड मोबाइल होने की समस्या होती है यदि मोबाइल है तो बैलेंस नहीं यदि बैलेंस है तो नेटवर्क की समस्या होती है इस कारण अधिकांश बच्चे ऑनलाइन कक्षा से वंचित रह जा रहे थे ऐसी विषम परिस्थिति में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एक योजना “पढ़ई तुहर दुआर” लाया गया जिसमें पारा-पारा के प्रत्येक गांव में संपर्क बनाकर पढ़ाई की योजना बनाई गई और गांव में पढ़ाई की शुरुआत कर दिया वहां पर मोहल्ला पारा में पढ़ाई के दौरान बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान दिया जिन बच्चों के पास मास्क नहीं था उन बच्चों को मास्क प्रदान किया साथ ही सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मास्क लगाकर पढ़ाई करवाई जा रही है सेनीटाइजर का भी उपयोग किया जा रहा है शिक्षिका के द्वारा स्वयं भी मास्क तथा सैनिटाइजर का उपयोग किया जा रहा है ताकि बच्चों को भी संक्रमण से सुरक्षित रखा जा सके।

इस प्रकार संकुल के सभी गांव के मोहल्लों में पढ़ाई कर विद्यार्थी गण लाभान्वित हो रहे हैं जिससे बच्चों अभिभावकों एवं ग्रामीण जनों में खुशी का माहौल है उन सब की उत्सुकता को देखकर शिक्षिका स्वयं गौरवान्वित महसूस कर रही है और बच्चों को पढ़ाने के लिए अत्यधिक उत्साहित है।

शिक्षिका के द्वारा प्रथम चरण के लॉक डाउन के बाद भी अप्रैल में स्कूल नहीं खुलने पर अपने निवास स्थान से “गणेश दादा गली” साक्षरता मार्ग में पढ़ाई शुरू की थी जिनमें ज्यादातर छात्राएं हैं जो छात्रावास में रहकर अध्ययन करती हैं जो वर्तमान में अपने घर आई हुई है वे सभी प्रतिदिन शाम को शिक्षिका के निवास स्थान पर अध्ययन करती हैं।

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