अम्बिकापुर

हिंदू विरोधी विपक्ष को..श्रीराम सद्बुद्धि दें..! मंदिर बन रहा..तारीख पता है..विपक्ष विरोध में डटा है ? …आलेख : संतोष दास

आलेख-
संतोष दास सरल.
जिला संवाद प्रमुख,
भाजपा सरगुजा.

5 अगस्त 2020,दिन बुधवार, इतिहास की वो तारीख बनने जा रही है जो न सिर्फ अयोध्या में प्रभु श्रीराम के पिछले पांच सौ सालों के इंतज़ार को खत्म करेगी बल्कि भारत देश की आने वाली अनेकों पीढीयों तक यह तारीख दीपावली के पावन पर्व की तरह हर साल खुशियों की सौगात लेकर आयेगी.. अयोध्यावासियों के लिए तो यह दीपोत्सव का अवसर है ही पूरे देशवासियों के लिए भी ये गौरव,उल्लास, उमंग व आनंद का अलौकिक क्षण है.. और हो भी क्यूँ न प्रभु श्रीराम किसी एक व्यक्ति के थोड़े ही हैं वो तो इस पुण्य भारत भूमि के अधिनायक हैं, आराध्य हैं, शक्तिपुंज हैं, दृढविश्वास हैं, सुविचार हैं, जीवन आधार हैं.. 5 अगस्त को प्रभु श्रीराम के जन्मस्थली अयोध्या में श्रीराम प्रभु के भव्य मंदिर का शुभ मुहूर्त में भूमिपूजन हिंदू साधु संतों की उपस्थिति में श्रीराम तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा किया जाना है.. श्रीराम तीर्थ क्षेत्र न्यास के निमंत्रण पर इस ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी स्वयं अयोध्या जाने वाले हैं और हमारे देश के जिम्मेदार विपक्ष के साथियों को यही पीड़ा खाये जा रही है.. अपनी सारी हदें पार कर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में कांग्रेस सहित सारे विपक्ष ने खुलकर प्रधानमंत्री के अयोध्या जाने का विरोध शुरू कर दिया है.. टीवी डिबेट, सोशल मीडिया,अखबारों सहित इंटरनेट पर विरोधी दल विरोध का कोई मौका नहीं छोड़ रहे.. कहीं कोरोना संक्रमण काल में ऐसा न करने के लिए मानवता की दुहाई दी जा रही है तो कहीं कोर्ट में अभी भी इस मुद्दे को विवादित बता कर भूमिपूजन रोकने की कोशिश हो रही है.. कहीं विपक्ष के इशारे पर साकेत गोखले जैसे लोगों से न्यायालय में इसे रोकने के लिए याचिकाऐं लगवाई जा रही हैं.. तो कहीं सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री की पत्नी के बारे में ही आपत्तिजनक व अनर्गल बातें लिखकर भूमिपूजन में नरेन्द्र मोदी के शामिल होने पर उंगली उठाई जा रही है.. अयोध्या में राममंदिर के भूमिपूजन को लेकर विपक्ष की नकारात्मक भूमिका ने एक बार फिर से देशवासियों के समक्ष विपक्ष को विवेकहीन व बहुसंख्यक हिंदू विरोधी साबित कर दिया है.. अयोध्या मामले में अदालत का फैसला आने के बाद से विपक्ष को चाहिए था कि वो अदालत के फैसले का दिल से स्वागत करते तथा प्रभु श्रीराम का मंदिर बनाने के लिए हिंदुओं का खुलकर समर्थन व सहयोग करते परंतु ऐसा हुआ नहीं.. अपनी बनावटी धर्मनिरपेक्ष छवि के धुल जाने के भय से ऐसा करना कांग्रेस व विपक्ष को उस समय शायद बिल्कुल गंवारा न हुवा होगा.. वैसे भी राममंदिर मुद्दे पर खुलकर लडाई लडने वाली बीजेपी को ही इसका लाभ मिलेगा यह विपक्षी दल पहले से ही मानकर बैठे गए थे.. फिर भी यदि वो मौन रहते तो शायद उन्हें अपनी बनावटी धर्मनिरपेक्ष छवि का इतना नुकसान न होता.. राम मंदिर बनाने का समर्थन खुल कर न कर पाने की उनकी अपनी मजबूरी रही होगी जो उनके अपनी पार्टी की वोटबैंक की राजनीति के हिसाब से शायद सही भी हो.. परंतु मंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम का बिना किसी कारण अब उनके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विरोध करना उन्हें भारी पड़ सकता है.. अब जब राम मंदिर के भूमिपूजन की तिथी व मुहूर्त तय है, तथा प्रधानमंत्री का आना भी तय है फिर भी इस कार्यक्रम से प्रधानमंत्री को दूर रखने की विपक्षी कोशिशें लगातार जारी हैं.. इस बीच सत्तापक्ष व देशवासियों की बांछें खिलाने फ्रांस से पांच राफेल फाईटर विमानों का पहला खेप भारत आ चुका है.. बहरहाल.. प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष कब हिंदू विरोधी बन जाता है उसे यह हमेशा चुनाव परिणाम के बाद ही समझ आता है.. श्रीराम उन्हें सद्बुद्धि दें..!

 

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