यूजीसी ने कहा, केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय परीक्षाओं से नहीं कर सकते इनकार… दिल्ली महाराष्ट्र समेत कुछ राज्यों ने की थी अंतिम वर्ष की परीक्षा ना कराने की घोषणा
नई दिल्ली। विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने को लेकर छात्रों की ओर से चलाए जा रहे अभियान और कुछ राज्यों के रुख के बाद यूजीसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कुछ राज्यों के परीक्षा न कराए जाने की एकतरफा घोषणा के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भी कहा ‘सभी विश्वविद्यालय गाइडलाइन के दायरे में आते हैं। चाहे व केंद्रीय हों अथवा राज्यों के विश्वविद्यालय। कोई भी इसे मानने से इनकार नहीं कर सकता है।’
यूजीसी सचिव रजनीश जैन ने कहा कि उन्हें भी कई राज्यों की ओर से परीक्षाएं न कराने के फैसले की जानकारी मिली है, जल्द ही वह इस संबंध में संबंधित राज्यों और विश्वविद्यालयों से चर्चा करेंगे। साथ ही उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि जहां तक बात कोरोना संक्रमण के खतरे की है तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी दोनों ही छात्रों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सतर्क है। यही वजह है कि जुलाई में प्रस्तावित परीक्षाओं को कराने के फैसले को टाल कर अब सितंबर अंत तक का समय दिया गया है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर विश्वविद्यालय परीक्षाओं को लेकर तैयार है। उन्होंने तैयारी भी कर ली है। स्थानीय स्थितियों का आंकलन करने के बाद वह जल्द ही परीक्षाओं को लेकर फैसला ले सकेंगे।
यूजीसी ने छह जुलाई को जारी अपनी संशोधित गाइड लाइन में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को जरूरी बताया। साथ ही इन्हें कराने के लिए विश्वविद्यालयों को सितंबर अंत तक का समय दिया है। बता दें कि यूजीसी देश में विश्वविद्यालयों की नियामक संस्था है।
गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद जारी की गई थी संशोधित गाइडलाइन
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर जारी गई अपनी संशोधित गाइडलाइन गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद जारी की थी। इसके तहत अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को अहम बताया गया था। साथ ही विश्वविद्यालयों को इसके लिए 30 सितंबर तक समय दिया था। इसके अलावा यह भी कहा था कि यदि किसी छात्र की परीक्षाएं इस दौरान छूट जाती है, तो उचित कारणों के आधार पर उन्हें चालू सत्र के बीच में ही फिर से परीक्षा का एक मौका दिया जाए।
कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए यूजीसी विश्वविद्यालयों की पहले और दूसरे वर्ष की परीक्षाओं को पहले ही रद्द चुकी है। इसके तहत इन सभी छात्रों को अब आंतरिक आंकलन के आधार पर प्रमोट किया जाएगा। जबकि अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को एक से पंद्रह जुलाई के बीच कराने को कहा था।