शासन के आदेश के बावजूद”जनप्रतिनिधियों की अनदेखी: अंबिकापुर स्थित संभाग के सबसे बड़े शा. कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ‘दीक्षारंभ’ कार्यक्रम पर सवाल

अंबिकापुर: शासकीय राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 31 जुलाई, 2025 को आयोजित ‘दीक्षारंभ’ कार्यक्रम ने महाविद्यालय प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि महाविद्यालय ने उच्च शिक्षा विभाग के स्पष्ट निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन किया। ‘दीक्षारंभ’ समारोह में किसी भी माननीय जनप्रतिनिधि को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित न करना, न केवल शासन के आदेशों की अवहेलना है, बल्कि इसे जनप्रतिनिधियों का घोर अपमान भी माना जा रहा है।
उच्च शिक्षा संचालनालय के आयुक्त द्वारा 23 जुलाई, 2024 को जारी पत्र क्रमांक 5.74/187/आउशि/गु.प्र./2024 में यह स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में ‘दीक्षारंभ’ समारोह आयोजित करते समय माननीय जनप्रतिनिधि (मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सांसद, मंत्री, विधायक या अन्य) को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाए। इस आदेश का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों से विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को अवगत कराना था, जिससे शिक्षा के प्रति जागरूकता और जनभागीदारी बढ़ाई जा सके।

शासकीय राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा जारी आमंत्रण पत्र में इन निर्देशों की पूरी तरह से अनदेखी की गई। आमंत्रण पत्र में कार्यक्रम के आयोजक के रूप में प्राचार्य डॉ. एजेन टोप्पो और राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी विशाल गुप्ता का नाम तो शामिल है, लेकिन किसी भी जन प्रतिनिधि का नाम दूर-दूर तक नहीं है। यह सीधे तौर पर उच्च शिक्षा विभाग के महत्वपूर्ण आदेश का उल्लंघन है।
इस घटना से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या महाविद्यालय प्रशासन ने जानबूझकर अपनी स्वेच्छाचारिता का परिचय देते हुए सरकार के निर्देशों को नजरअंदाज किया, या यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक थी? एक महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रम में, जहाँ राज्य की शिक्षा नीति पर चर्चा होनी थी, जन प्रतिनिधियों को आमंत्रित न करना सिर्फ एक चूक नहीं हो सकती। यह महाविद्यालय प्रबंधन की गैर-जिम्मेदाराना और मनमानी कार्यशैली को दर्शाता है, जो शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना के विपरीत है। इस घटना ने महाविद्यालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है और आगे की कार्रवाई की मांग भी जोर पकड़ रही है।



