छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण मामला: केरल की दो ननों की जमानत याचिकाएं खारिज, मामला NIA कोर्ट को सौंपा गया

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के सिलसिले में गिरफ्तार केरल की दो ननों को निचली अदालत और सत्र न्यायालय दोनों से झटका लगा है। उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं और मामला अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अदालत के अधिकार क्षेत्र में चला गया है।
क्या है ननो की गिरफ्तारी का मामला?
25 जुलाई को असीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट (ASMI) की केरल की नन वंदना फ्रांसिस और प्रीता मैरी को बजरंग दल के सदस्यों ने दुर्ग रेलवे स्टेशन पर छत्तीसगढ़ के युवक सूकमन मंडावी को रोक लिया था। उन पर आरोप लगाया कि वे नारायणपुर जिले की 3 आदिवासी लड़कियों को बहलाकर धर्मांतरण के लिए आगरा ले जा रही थीं। कार्यकर्ताओं ने तीनों को राजकीय रेलवे पुलिस को सौंप दिया, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया।
अदालत में क्या हुआ?
गिरफ्तारी के बाद ननों की ओर से जमानत के लिए निचली अदालत में याचिका दायर की गई, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायाधीश अनीश दुबे (एफटीएससी) की अदालत में सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने मानव तस्करी के आरोपों पर जोर दिया।
न्यायाधीश अनीश दुबे ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले में मानव तस्करी के आरोप भी शामिल हैं। चूंकि मानव तस्करी से जुड़े मामलों की सुनवाई NIA कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आती है, इसलिए यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसके साथ ही उन्होंने ननों की जमानत याचिका खारिज कर दी और मामले को NIA कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने थाना प्रभारी को निर्देश दिए हैं कि जब तक NIA कोर्ट में मामले की सुनवाई नहीं होती, तब तक दोनों नन को न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा।
कोर्ट ने थाना प्रभारी को मानव तस्करी से जुड़े सभी दस्तावेज केंद्रीय एजेंसी को सौंपने को कहा है। शिकायतकर्ता के वकील राजकुमार तिवारी कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर सकते हैं।
अब आगे क्या होगा?
इस फैसले के बाद, ननों को अब जमानत के लिए NIA कोर्ट में ही याचिका दायर करनी होगी।




