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मैनपाट में लक्ष्य वेध के तहत शिक्षा गुणवत्ता में सुधार: 6 मंत्रों पर जोर जिला सरगुजा के मैनपाट में”लक्ष्यवेध” पर ऑनलाइन प्रशिक्षण से शिक्षक उत्साहित

मैनपाट/ सरगुजा जिला के अंतर्गत मैनपाट ब्लॉक में 100 शिक्षकों को आनंद पूर्वक प्रशिक्षण दिया गया। इसमें शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए 6 मूल मंत्रो पर जोर दिया गया।
सुनील मिश्रा सर के मार्गदर्शन में मैनपाट ब्लॉक के 100 शिक्षकों को प्रथम चरण के दौरान ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान शिक्षा गुणवत्ता में सुधार हेतु लक्ष्यवेध में 21 वी सदी के शिक्षण कौशल को प्राप्त करने के लिए 6 मूल मंत्र बताए गए।बच्चों को स्वयं से सीखने के लिए प्रेरित करें,बच्चों को सबसे अधिक सीखने के लिए चुनौती देना,विषय मित्र बनाना,बच्चों की जिज्ञासा का सम्मान करना,एक तिहाई समय में कोर्स पूरा करने की योजना बनाना,सीखने की प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी का उपयोग करना साथ ही सेल्फी विद सक्सेस पर जोर देना।
शामिल है।
पहले दिन अंतरराष्ट्रीय स्कूल एवं अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा पर चर्चा की गई दूसरे दिन मूल्यांकन प्रक्रिया एवं काम के चरण पर चर्चा की गई। तीसरे दिन लक्ष्य वेद के प्रथम 2 बिंदु एवं इसी प्रकार बाकी के बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा परिचर्चा की गई।
छत्तीसगढ़ के कई ब्लॉकों जैसे बेरला, जशपुर एवं जांजगीर में लक्ष्यवेध के तहत 6 मूल मंत्रों के प्रयोग से बच्चों का कोर्स निर्धारित समय से एक तिहाई समय में ही पूरा हो गया है तथा शेष समय में वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एवं अन्य कौशल विकास में समय का सदुपयोग कर रहे हैं।

रोजाना असाइनमेंट भी-
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन असाइनमेंट दिया जाता था, जिस पर सभी प्रशिक्षणार्थियों द्वारा अपने विचार लिखकर प्रस्तुत किए गए प्रतिदिन के कार्यों का प्रतिवेदन भी ऑनलाइन प्रस्तुत किया जाता था। सभी शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण का भरपूर आनंद लिया गया।
100% बच्चों को सीखने पर जोर-
प्रशिक्षण के दौरान 100% बच्चों को सीखने पर जोर दिया गया। पहला -जिसमें असर स्तर के बच्चों को 0% पर लाना। इसका दूसरा अर्थ 100% बच्चों को पढ़ना, लिखना और गणित मूलभूत संक्रियाएं आ जाना। दूसरा- 100% बच्चों को सीखने के प्रतिफल के स्तर पर लाना। तीसरा-100% बच्चों को 21वीं सदी के कौशल में दक्ष करना। चौथा- इसके लिए हमें अपनी शिक्षण शास्त्री रणनीति को “क्या सीखना है?” के स्थान पर “सीखने को कैसे सीखना है?” मैं बदलना होगा।
लक्ष्य-वेध की प्रक्रिया और शिक्षक की भूमिका-
बच्चों के सीखने का नेतृत्व, प्रबंधन और नियोजन कर्ता की भूमिका,सीखने के लिए प्रेरित करने वाले की भूमिका, चुनौती निर्माण करने वाले की भूमिका। किताबों के भीतर और बाहर की चुनौतियां बनाना ,प्रतिदिन बच्चों को मोबाइल में क्या देखना है इसका सुझाव देना,मोबाइल में देखे हुए चीजों को कक्षा के भीतर बच्चों से चर्चा करना,बच्चों के जिज्ञासा बढ़ाने के तौर तरीके खोजने वाला ,विषय- मित्र तैयार करना। विषय- मित्र को मार्गदर्शन देना। विषय -मित्र की सहायता से सीखने की गति बढ़ाने की योजना बनाना। विषय मित्रों के साथ प्रगति की समीक्षा करना।
सभी शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण को गंभीरतापूर्वक लिया गया जिसमें ए पी सी रविशंकर तिवारी ,मैनपाट ब्लॉक के बी ई ओ- सुनील दत्त पांडेय,ए बी ई ओ- तजम्मुल हसन बीआरसी- रमेश कुमार सिंह प्रशिक्षण संयोजक श्री काजेश घोष व सभी सी ए सी भी सम्मिलित होकर सभी शिक्षकों को प्रेरित करते हुए प्रशिक्षण भी लिया गया। इस प्रशिक्षण में प्रशिक्षक के रूप में- श्रीमती वन्दना महथा ,श्रीमती प्रियम्वदा भगत ,वेदराम यादव, ने बहुत ही सरल एवं सहज ढंग से हम सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया।

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