दम तोड़ते हुए सिस्टम की हकीकत देखनी हो तो बलरामपुर जिले इस गांव मे आइए जहां एक विधवा महिला अपने दो बच्चों के साथ शौचालय में रहने को मजबूर है ..शौचालय ही महिला का आशियाना है.
बलरामपुर/ बलरामपुर जिले के कुसमी विकासखंड के अंतिम छोर पर बसे राजेंद्रपुर के पकरिटोला गाँव में एक विधवा महिला द्वारा अपने दो बच्चों के साथ शौचालय में निवास करने का मामला सामने आया है।और इस पूरे मामले के बाद सिस्टम हिलने वाला है। क्योंकि यह सभी सीमाओं का अंत है कि कोई परिवार शौचालय में निवास करे। शौचालय को अपना आशियाना बना ले।हालांकि जनपद उपाध्यक्ष की पहल पर एक तत्काल किराए का रूम उपलब्ध कराया गया है लेकिन पिछले 2 महीने से यह महिला शौचालय में ही रह रही थी।
कुसमी के राजेंद्र पुर में 38 वर्षीय महिला ललिता अपने 5 वर्षीय और 7 वर्षीय दो बच्चों के साथ शौचालय में रहने को मजबूर थी.इसकी मजबूरी इसलिए थी क्योंकि आज से करीब 9 वर्ष पहले जब इसकी पति की मौत हो गई उसके बाद परिजनों ने इसके सिर से आशियाना ही छीन लिया और उसके घर को तोड़ डाला।महिला के पास सर ढकने के लिए जगह नहीं थी इसलिए शौचालय को ही इसने अपना आशियाना बना लिया हालांकि कुछ दिन दिनों तक गांव वालों ने इसे पनाह दी लेकिन पिछले 2 महीने से यह महिला शौचालय में ही रहती थी। सरकार के विकास की चिड़िया इस महिला के आंगन से जैसे फ़ूरर हो गई हो क्योंकि ना तो इस महिला को आवास मिला ना तो शासकीय योजना का लाभ इस महिला को कई महीनों से राशन भी नहीं मिलत । स्थिति बद से बदतर है विश्वास नहीं होगा आपको कि यह बदलते भारत की तस्वीर है।
हालांकि जैसे ही इसकी जानकारी जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष हरीश मिश्रा को लगी उन्होंने मानवता का परिचय दिया और महिला की मदद की पंचायत को निर्देशित कर के किराए का रूम भी दिलाया लेकिन सवाल यह है कि आज तक इस महिला को शासकीय योजना का लाभ क्यों नहीं मिला? आखिर क्यों महिला दर-दर भटकने को मजबूर है ?आखिर क्यों यह शौचालय में अपने बच्चों के साथ रहने को मजबूर हैं सोने को मजबूर है? आखिर क्यों महिला को आज तक राशन नहीं मिल रहा? अंत मे यह तस्वीर देखिए शौचालय के सामने कैसे महिला अपने बच्चों के साथ बैठी है और इसी शौचालय में वह रह कर जीवन यापन कर रही थी।
इस मामले पर जनपद सीईओ ने कहा है कि आज जांच हेतु टीम गांव में जा रही है।