गर्भवती हथिनी की मौत का मामला: पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों और वन विभाग के बयानों में विरोधाभास….शावक की मौत से पूरा क्षेत्र हुआ भावुक.. आखिर इस हृदयविदारक घटना का जिम्मेदार कौन..? हाथी संरक्षण की दिशा में एक बड़ी क्षति..

प्रतापपुर। कल केरल जैसी ही भयावह घटना प्रतापपुर में देखने को मिली, केरल और प्रतापपुर में बस फर्क इतना है कि वहां बारूद वाला अनानाश खिलाया और यहां वन विभाग इलाज मुहैया नहीं करा सका जिससे मादा हाथी के साथ उसके गर्भ में पल रहे पूर्ण विकसित शावक की तड़प-तड़पकर दर्दनाक मौत हो गई। मौत के बाद पहले तो वन विभाग के अधिकारियों ने बताया था कि हाथियों के आपसी संघर्ष से हथिनी की मौत हो गई है। जबकि डॉक्टरों ने प्रसव पीड़ा से तड़पकर गर्भवती हथिनी के मौत का कारण बताया। गर्भवस्था के अंतिम दिनों में बीमारी के कारण हथिनी की एक भयानक दर्दनाक मौत होना वन विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है।
डॉक्टरों ने बताया कि लिवर की बीमारी से पीड़ित थी। हथिनी के शरीर में बड़ी मात्रा में सिस्ट भी पाया गया। मौत से पहले गर्भवती हथिनी घण्टो दर्द से तड़पी रही है। वह कुछ ही दिनों में शावक को जन्म देने वाली थी।
इस मामले में सबसे दुःखद पहलू यह है कि लंबे समय से लिवर में इंफेक्शन और गर्भवती होने के बावजूद वन विभाग को ना इसे पता चला और ना ही उसे इलाज मुहैया करा सका ।
गर्भवती हथिनी और उसके पेट में पल रहे शावक की दर्दनाक मौत का जिम्मेदार कौन है ?
शासन द्वारा हाथियों के संरक्षण के लिए अलग से सरगुजा संभाग में वन विभाग के अंतर्गत एलीफेंट रिजर्व विभाग बनाया गया है जिसमें उप निदेशक स्तर के भारतीय वन सेवा के अधिकारी के नेतृत्व में भारी भरकम अमला पदस्थ हैं, इसके बावजूद गर्भवती हथिनी महीनों से बीमारी से ग्रसित रही और एलीफेंट रिजर्व विभाग को पता ही नहीं चला ऐसे में एलीफेंट रिजर्व विभाग के होने के औचित्य पर भी प्रश्न चिन्ह है।
गर्भवती हथिनी और पेट में पल रहे शावक की मौत से पूरा क्षेत्र हुआ भावुक
गर्भवती हथिनी और पेट में पल रहे शावक की मौत ने पूरे क्षेत्र को भावुक कर दिया और इस दर्दनाक घटना को लेकर जिम्मेदारी तय करने के साथ कार्रवाई की मांग उठ रही है। क्योंकि प्रत्येक हाथियों की निगरानी करने के दावों की पोल खुल गई है। वन विभाग हथिनी को इलाज उपलब्ध तो करा पाया नहीं, उन्हें स्थिति की जानकारी भी नहीं थी।बड़े अधिकारी जंगली हाथियों के निगरानी के लिए बड़ी बड़ी बातें करते हैं बावजूद इसके कल एक हथिनी और पेट में पल रहे शावक की मौत इसलिए हो गई क्योंकि उस पर वन विभाग के किसी अधिकारी- कर्मचारी की नजर नहीं थी और इतनी गम्भीर इस्थिति के बावजूद भी विभाग इलाज नहीं करा पाया।