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21 मजदूर 45 हजार में गाड़ी बुक कर इंदौर से निकले.. मध्यप्रदेश के अनूपपुर में फंसे.. फिर भी नहीं पहुंचे अपने घर छत्तीसगढ़.. कम्पनी से छुट्टी लेने मजदूरों को करना पड़ा हड़ताल..

पोड़ी मोड़-प्रतापपुर।45 हजार में गाड़ी बुक की,इंदौर से निकल भी गए लेकिन आगे की अनुमति न होने के कारण छत्तीसगढ़ के 21 मजदूर मध्यप्रदेश के अनूपपुर में ही फंस गए।अभी रात 11 बजे करीब वे अपने घरों को वापस आने साधन में जुगाड़ में लगे हैं,मजदूरों ने कहा कि कोई व्यवस्था नहीं हुई तो वे पैदल ही सुबह वहां से निकल जाएंगे,इनमें सूरजपुर के साथ जशपुर,कोरिया, बलरामपुर और सरगुजा के मजदूर हैं।
छत्तीसगढ़ से बाहर राज्यों में फंसे मज़दूरों को वापस लाने की बातें तो हो रही हैं लेकिन अभी बड़ी म।बसंख्या में ऐसे मजदूर हैं जो दूसरे राज्यों में फंसे हैं और वापस अपने घर आना चाहते हैं।बहुत से लोग अपने जुगाड़ से वापस आ भी रहे हैं जिसका एक बड़ा कारण जानकारी के अभाव में पंजीयन न करा पाना भी है।ऐसे ही छत्तीसगढ़ के 21 मजदूर हैं जिन्होंने खुद से 45 हजार में एक गाड़ी बुक की थी लेकिन वे छत्तीसगढ़ तक नहीं पहुंच सके और मध्यप्रदेश के ही अनुपपुर में गाड़ी छोड़ना पड़ा।इन मज़दूरों में सूरजपुर के पकनी से 7,बलरामपुर से 8, कोरिया से 2, सरगुजा 1 और जशपुर से 3 लोग हैं,अभिषेक कुमार, मोहन पैकरा, बिफल,विनोद मिंज,अग्रसेन, आनंद साय, श्यामलाल कुजूर, श्यामबहादुर कुजूर, विलियनुस,संतलाल, बुधराम,राजपाल,राज कुमार, जेम्सबाट लकड़ा,रामा पैकरा, रामसेवक, रंजीत पैकरा, धनेश्वर, मन्नी लाल, जगरनाथ पैकरा, चंद्रिका पैकरा, नंदकिशोर यादव ने बताया कि वे इंदौर के पास डाबर की फैक्ट्री में काम करते हैं।लॉक डाउन के दौरान भी उन्हें वहां काम मिल रहा था और कोई दिक्कत नहीं थी इसलिए वहीं रुके हुए थे लेकिन अब कोरोना के डर के कारण उन्होंने फैक्ट्री से घर वापस आने का निर्णय लिया था।उन्होंने वहां कलेक्टर से पास बनवाया था लेकिन यह केवल अनूपपुर तक के लिए ही था,पास बनने से पहले ही उन्होंने 45 हजार रुपये में एक गाड़ी बुक कर ली थी और कल मंगलवार को वे इंदौर से निकल गए थे।जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वे अनुपपुर तक तो पहुंच गए लेकिन आगे की कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है,एक जगह उन्हें खाने की व्यवस्था मिली है,कोई वाहन नहीं मिली तो रात वहीं गुजार वे सुबह पैदल ही अपने घरों के लिए निकल जाएंगे,इससे पहले वे अपने परिचितों से अनुपपुर से उन्हें वापस लाने व्यवस्था करने की गुहार भी कर रहे हैं।

फैक्ट्री में बढ़ रहे थे बाहर के मजदूर…

मजदूरों ने बताया कि उन्हें वहां कोई परेशानी नहीं थी लेकिन अब बाहरी मजदूरों की संख्या बढ़ने लगी थी जिस कारण फैक्ट्री में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने लगा था।उन्हें भी कोरोना का डर सताने लगा था इसलिए उन्होंने घर वापस आने का निर्णय लिया।

छुट्टी लेने करना पड़ा हड़ताल….

मजदूरों ने बताया कि उन्हें घर वापस आने के लिए फैक्ट्री में हड़ताल करनी पड़ी और छुट्टी न मिलने पर रिजाइन लेटर भी देना पड़ा था।उन्होंने बताया कि हम घर वापस आना चाहते थे लेकिन मालिक छुट्टी नहीं दे रहा था,स्थिति देखने के बाद वे सभी हड़ताल में बैठ गए और रिजाइन लेटर बनाकर दिया,तब उन्हें घर आने छुट्टी दी गई।

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