छत्तीसगढ़ पहुंचा जानलेवा ब्लैक फंगस, रायपुर एम्स में 15 मरीज भर्ती, कोरोना से ठीक हुए मरीज हो रहे हैं शिकार . जाने बीमारी, लक्षण और बचाव
प्रदेश में कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ने की खबर अभी आई हींं थी कि एक नई बीमारी ब्लैक फंगस का खतरा छत्तीसगढ़ में मंडराने लगा है कोविड-19 को मात देने के बाद लोग फंगल संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। इस संक्रमण को आमतौर पर ब्लैक फंगस नाम से पहचाना जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ है। इस संक्रमण की वजह से लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है और कुछ मामलों में मौत तक हो जा रही है।
रायपुर एम्स में 15 ब्लैक फंगस के मरीज को भर्ती कराया गये हैं प्राप्त जानकारी के मुताबिक रायपुर एम्स में भर्ती 15 ब्लैक फंगस के मरीजों में 8 मरीजों की आंखों में फंगस इंफेक्शन है, जबकि बाकी मरीजों के अन्य पार्टों में संक्रमण है, जिनकी जांच की जा रही है।
क्या है म्यूकर माइकोसिस
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, म्यूकर माइकोसिस एक तरह का दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। यह संक्रमण मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर कर रहा है। इस बीमारी में कई के आंखों की रौशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इलाज न मिले तो मरीज की मौत हो सकती है।
पहले से बीमार लोगों को खतरा
यह फंगल इंफेक्शन उन लोगों पर असर कर रहा है जो कोरोना की चपेट में आने से पहले ही किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त थे और उनका इलाज चल रहा था। इस कारण उनके शरीर की पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे लोग जब अस्पताल में कोरोना के इलाज के लिए भर्ती होते हैं तो वहां के पर्यावरण में मौजूद फंगल उन्हें बहुत तेजी से संक्रमित करती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के इलाज में उपयोग होने वाले स्टेरॉयड भी इस फंगल इंफेक्शन का कारण बन रहे हैं।
डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा खतरा
आईसीएमआर के अनुसार, कमजोर इम्युनिटी वालों पर यह संक्रमण तेजी से असर करता है। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है, उनमें शुगर लेवल बढ़ जाने पर म्यूकर माइकोसिस खतरनाक रूप ले सकता है।
आंखों में लाली-दर्द हो तो सतर्क रहें
इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति के साथ आंखों या नाक के आसपास दर्द और लाली दिखना शामिल हैं। वहीं, स्किन पर ये इंफेक्शन होने से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं और इंफेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है। कुछ मरीजों को आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, पेट दर्द, उल्टी या मिचली भी महसूस होती है। हालांकि, सलाहकारों के अनुसार, हर बार नाक ब्लॉक होने की वजह ब्लैक फंगस हो ये भी जरूरी नहीं है। इसलिए जांच कराने में संकोच न करें।
लक्षण दिखने पर ये करें
यदि किसी में इस तरह के लक्षण महसूस हों तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए तो एंटीफंगल दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। जिन लोगों में यह स्थिति गंभीर हो जाती है, उनमें प्रभावित मृत टिशू को हटाने के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। ध्यान रहे कि ऐसी समस्या आने पर बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं।
छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये
मुख्यमंत्री ने ब्लैक फंगस के संक्रमण की जानकारी को गंभीरता से लिया उन्होंने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये हैं। ब्लैक फंगस के रोकथाम हेतु पोसाकोनाजोल एवं एम्फोटेरसिन-बी औषधियों की आवश्यकता होती है, जिसकी नियमित एवं विधिवत् आपूर्ति किया जाना अतिआवश्यक है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के परिपालन में छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक ने सभी जिलों में पदस्थ औषधि निरीक्षकों को अपने जिलों में औषधि पोसाकोनाजोल एवं एम्फोटेरेसिन-बी (समस्त डोसेज फाॅर्म, टेबलेट, सीरप, इंजेक्शन एवं लाइपोसोमल इंजेक्शन) की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये हैं।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक ने औषधि निरीक्षकों को निर्देशित किया है, कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र के भीतर समस्त होलसेलर, स्टाॅकिस्ट, सीएंडएफ से उक्त औषधियों की वर्तमान में उपलब्ध मात्रा की जानकारी प्रतिदिन प्राप्त करें। औषधि निरीक्षक अपने क्षेत्र के सभी औषधि प्रतिष्ठानों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करें।