वैक्सिनेशन में अंत्योदय, बीपीएल, निराश्रित, एपीएल जैसे मापदंड तय करना भेदभाव, सरकार उम्र को आधार बनायें
अम्बिकापुर/सरगुजा साइंस ग्रुप एज्युकेशन सोसायटी के संस्थापक अंचल ओझा ने एक बयान जारी कर कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 18वर्ष से ऊपर वर्ग के लोगों को टिकाकरण हेतु बनाई गई मापदंड बेहद ही घटिया एवं भेदभावपूर्ण है। एक तो केंद्र सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया और 18वर्ष से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगाने का सारा ठीकरा राज्यों पर मढ दिया है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार ने 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगाने का एहसान तो करना चाहा लेकिन इसे भेदभावपूर्ण तरीके से। शुरुआत से ही वैक्सिन उम्र को आधार मान कर की जा रही है, जबकि आगे भी उसे उम्र के आधार पर ही बढ़ाना चाहिए था, किन्तु छत्तीसगढ़ सरकार का यह निर्णय बेहद ही घटिया एवं भेदभावपूर्ण है कि अंत्योदय, निराश्रित, बीपीएल एवं एपीएल के आधार पर टीकाकरण करना लोगों में भेदभाव को बढ़ाना है। कोरोना महामारी के इस विपरीत परिस्थितियों में जब कि कोरोना ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया, ऐसे समय में सरकार में बैठ कर निर्णय करने वाले लोगों की मानसिकता एक दूसरे में टकराव पैदा करने वाला है। सरकार को वैक्सिनेशन के लिए उम्र को आधार बनाना चाहिए और अभी भी देर नहीं हुई है, इसे बदला जा सकता है। पहले 40 से 45 के बीच करें, फिर धीरे-धीरे उसके आगे बढ़ें, जब अपनी मनमानी ही चलानी थी तो स्वास्थ्य विभाग क्यों पंजीयन के लिए हल्ला मचाये हुए है। नियम और नीति के निर्धारकर्ताओं की यह मानसिकता समझ से परे है। यही हाल रहा तो जल्द ही लोग सड़कों पर उतरने से गुरेज नहीं करेंगे, बीमारी को लेकर तो लोगों में कहीं न कहीं गुस्सा है ही और इस तरह का सिस्टम चलता रहा तो सरकार को काफी विरोध का सामना करना पड़ेगा, सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ दिख रहा है, सरकार सोच, विचार करे।